पांढुर्ना जिले के ग्राम लेंढोरी के युवा किसान मनोज कोरडे ने एक एकड़ में मक्का की फसल लगाई है। सिंचाई की अल्प सुविधा होने से किसान ने गेहूं छोडकऱ पहली बार रबी सीजन में मक्का की फसल का प्रयोग किया। मनोज ने बताया कि उनके मित्र दीपक पाठे ने उन्हें मक्का लगाने की सलाह दी। इसके बाद किसान ने हर साल लगाई जाने वाली गेहूं फसल को छोडकऱ मक्का लगाया। खेत में मक्का की फसल देखते बन रही है। एक पेड़ पर चार-चार मक्का के फल और गुणवत्ता में भुट्टा खरीफ की अपेक्षा अधिक दानेदार हैं। इससे किसान को अच्छा मुनाफा प्राप्त होने की पूरी आशा है।
फल में मोटे दाने मुनाफे की गारंटी
मनोज की तरह ही रोशन डोंगरे और राजू खापे ने भी पौन एकड़ में मक्का लगाया है। रोशन ने बताया कि कपास फसल के बाद वह हमेशा गेहूं लगाता था, लेकिन इस बार मक्का लगाकर देखा। फसल की गुणवत्ता खरीफ से अधिक शानदार है। फल में मोटे दाने मुनाफे की गारंटी दे रहे हैं। मक्का को 2100 रुपए तक दाम मिल रहे हैं। वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी सुनील गजभिये ने बताया कि मक्का का यह प्रयोग युवा किसानों के खेत में सफल साबित हो रहा है। इसकी गुणवत्ता एक नंबर है। खरीफ में बारिश के कम ज्यादा होने का असर मक्का की फसल पर पड़ता है, जिससे भुट्टा छोटा या कमजोर विकसित होता है। किसानों को कई बार नुकसान का मुंह देखना पड़ता है। यदि रबी में सिंचाई की थोड़ी बहुत सुविधा हो तो किसान मक्का लगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
बहुमुखी उपयोग किसानों को देता है मुनाफा
मक्का का उपयोग सिर्फ खान पान ही नहीं तो इसके भुट्टे को गलाकर मवेशियों के लिए अच्छा चारा बनाकर उपयोग में लाया जा सकता है। आज मक्का की डिमांड कई उद्योगों और कई तरह के कॉर्न मील, कॉर्न सीरप, कॉर्न आयल, इथनॉल और साबुन बनाने के लिए भी है। किसानों के इस प्रयोग से मक्काअब 12 महीनों तक लगाने योग्य फसल सिद्घ हो गई है।