जस्टिस अनिल किलोर (Justice Anil Kilor) ने सचिन अंदुरे, गणेश मिस्किन, अमित देगवेकर, अमित बद्दी, भरत कुराने और वासुदेव सूर्यवंशी को जमानत दे दी। हाईकोर्ट ने पाया कि आरोपी लंबे समय से जेल में बंद है और 250 से अधिक गवाहों के होने और ट्रायल धीमी होने के कारण वह जमानत के हकदार है।
बता दें कि सीपीआई नेता पानसरे की फरवरी 2015 में कोल्हापुर में उनके घर के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पांच दिन बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। उनकी बेटी स्मिता पानसरे ने बाद में जांच एजेंसी की धीमी प्रगति पर चिंता जताते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था। याचिका में उन्होंने यह भी तर्क दिया कि पानसरे, नरेंद्र दाभोलकर, एमएम कलबुर्गी और गौरी लंकेश जैसे अन्य कार्यकर्ताओं की हत्या के पीछे एक बड़ी साजिश थी। चारों हत्याओं का आपस में संबंध है और इन हमलों के पीछे का मास्टरमाइंड एक ही है।
पानसरे की हत्या की जांच पहले एसआईटी द्वारा की गई थी। अगस्त 2022 में हाईकोर्ट के आदेश पर मामला एटीएस (ATS) को ट्रांसफर कर दिया गया।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले साल पानसरे की हत्या के आरोपियों में से एक समीर गायकवाड़ को दी गई जमानत रद्द करने से इंकार कर दिया था. दरअसल याचिका दायर कर महाराष्ट्र सरकार ने यह मांग की थी।