संभाग में करीब ढाई हजार कैंसर रोगी पंजीकृत यह आंकड़ा सागर मेडिकल कॉलेज का है, जहां पर कैंसर रोग से पीडि़त मरीजों का इलाज हो रहा है। हालांकि यहां भी कैंसर विशेषज्ञों का टोटा बना हुआ है। इस वजह से यहां पर कैंसर के बड़े-बड़े ऑपरेशन नहीं होते हैं। रेडियोथैरेपी सुविधा न होने से अधिकांश कैंसर मरीज बाहर ही इलाज कराने जाते हैं।
जिले में तंबाखु का चलन काफी ज्यादा है। इससे लोग मुंह के कैंसर के शिकार हो रहे हैं। कैंसर विशेषज्ञ डॉ. सुशील गौर बताते हैं कि बुंदेलखंड में मुंह के कैंसर के रोगियों की संख्या बढ़ रही है, जो ङ्क्षचता का विषय है। इसके अलावा महिलाओं में स्तन कैंसर और बच्चादानी के कैंसर की शिकायत भी ज्यादा पाई जा रही है।
आखिरी स्टेज पर पहुंचने वालों का है डाटा: खासबात यह है कि कैंसर रोगियों की बढ़ती संख्या के बीच अस्पताल प्रबंधन के पास मरीजों का डाटा नहीं है। यहां सिर्फ उन मरीजों का डाटा है, जो बाहर इलाज करा रहे थे और आखिरी समय पर जब वापस घर लौट आते हैं तो परिजन उन्हें जिला अस्पताल लेकर जाते हैं, जहां पर कई दम तोड़ते हैं। अस्पताल में साल भर में दम तोडऩे वाले कैंसर रोगियों की संख्या करीब दस बताई जा रही है, जो कि बेहद कम आंकड़ा है।
स्क्रीङ्क्षनग के दौरान सामने आ रहे मरीज जिला अस्पताल में गायनी और इएनटी विभाग में हो रही स्क्रीङ्क्षनग में कैंसर के संदिग्ध मरीज सामने आ रहे हैं। हालांकि इन्हें यहां पर इलाज नहीं दिया जाता है। बल्कि उन्हें बाहर भेजा जाता है। साल भर में सौ से ज्यादा संदिग्धों को रेफर किया जा रहा है, लेकिन फॉलोअप न लिए जाने से कितने कैंसर के शिकार हुए हैं। इनकी जानकारी प्रबंधन के पास नहीं रहती है।बुंदेलखंड में कैंसर रोगी बढ़ रहे हैं। हमारे पास दो हजार से ज्यादा मरीज पंजीकृत है। इनकी संख्या कहीं ज्यादा है। रेडियोथैरेपी की सुविधा नहीं है।
डॉ. सुशील गौर, एचओडी कैंसर विभाग मेडिकल कॉलेज सागर हमारे यहां कैंसर विशेषज्ञ नहीं है। कीमो ही एक मात्र विकल्प है। स्क्रीङ्क्षनग के दौरान संदिग्धों को जांच के लिए बाहर भेजा जा रहा है।
डॉ. गौरव जैन, प्रभारी एवं जिला क्षय रोग अधिकारी