बताया जाता है कि दोनों मामलों में मृतकों के गर्भधारण अवस्था से लेकर प्रसव काल तक की जांच टीम करेगी। देखा जाएगा कि चूक कहां पर हुई है। नियमानुसार सभी जांचें हुई थीं, या नहीं। टीके लगे थे, हीमोग्लोबिन की कमी पाई जाने पर क्या इलाज किया गया। हाइरिस्क थी तो फॉलोअप किया गया या नहीं आदि बिंदुओं पर टीम जांच करेगी। इसके अलावा शासन स्तर से तय बिंदु भी जांच में शामिल किए जाएंगे।
बटियागढ़ ब्लॉक के मगरोन क्षेत्र निवासी आरती पत्नी लोकेंद्र लोधी की मौत 10 मार्च को जिला अस्पताल में हुई थी। उसके गर्भ में पल रहे जुड़वा बच्चे भी दुनिया नहीं देख पाए। प्रसूता हाइरिस्क थी। बीपी बढ़ना बताया गया था। बीपी कंट्रोल न होने के कारण प्रसूता की मौत होना बताया गया है।
एमसीएच में डॉक्टरों की ड्यूटी के लिए कलेक्टर ने एक निर्देश जारी किए थे। इसके अनुसार रात 8 से 10 बजे तक एक स्त्री रोग विशेषज्ञ तैनात किए जाने के निर्देश सीएस को दिए थे। मगरोन मामले में मृतका के चचेरे भाई का आरोप था कि शाम छह बजे उसने बहन को भर्ती किया था, पर डॉक्टर नहीं मिली थी। रात दस बजे डॉक्टर आई थी। चार घंटे तक बहन को कोई इलाज नहीं मिला।
डॉ. मुकेश जैन, सीएमएचओ दमोह