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दमोह

चार मौतों के मामले में डेथ ऑडिट के निर्देश, तीन लोगों की कमेटी करेगी जांच

-उप स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल तक प्रसूताओं को मिले इलाज व जांचों पर केंद्रित रहेगी रिपोर्ट दमोह. जिला अस्पताल में 24 घंटे के भीतर चार की मौत के मामले में कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने जांच के आदेश दिए हैं। डेथ ऑडिट रिपोर्ट भी मांगी है। इस मामले में लापरवाही सामने आती है […]

दमोहMar 13, 2025 / 01:58 am

हामिद खान

-उप स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल तक प्रसूताओं को मिले इलाज व जांचों पर केंद्रित रहेगी रिपोर्ट

-उप स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल तक प्रसूताओं को मिले इलाज व जांचों पर केंद्रित रहेगी रिपोर्ट

-उप स्वास्थ्य केंद्र से लेकर जिला अस्पताल तक प्रसूताओं को मिले इलाज व जांचों पर केंद्रित रहेगी रिपोर्ट

दमोह. जिला अस्पताल में 24 घंटे के भीतर चार की मौत के मामले में कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने जांच के आदेश दिए हैं। डेथ ऑडिट रिपोर्ट भी मांगी है। इस मामले में लापरवाही सामने आती है तो जिम्मेदारों के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
हालांकि डीएचओ-1 के न होने से कमेटी अभी नहीं बन पाई है। जांच शुरू होने में दो दिन लग सकते हैं।

खासबात यह है कि पिछले साल जिला अस्पताल में प्रसव के दौरान चार प्रसूताओं की हालत बिगड़ी थी। सभी ने इलाज के दौरान दम तोड़ा था। इस घटना के बाद सीएमएचओ और सीएस हटाए गए थे। पर देखा जाए तो कार्रवाई के बाद भी लापरवाही के मामले थम नहीं रहे हैं।
-तय गाइड लाइन के अनुसार होगी जांच
बताया जाता है कि दोनों मामलों में मृतकों के गर्भधारण अवस्था से लेकर प्रसव काल तक की जांच टीम करेगी। देखा जाएगा कि चूक कहां पर हुई है। नियमानुसार सभी जांचें हुई थीं, या नहीं। टीके लगे थे, हीमोग्लोबिन की कमी पाई जाने पर क्या इलाज किया गया। हाइरिस्क थी तो फॉलोअप किया गया या नहीं आदि बिंदुओं पर टीम जांच करेगी। इसके अलावा शासन स्तर से तय बिंदु भी जांच में शामिल किए जाएंगे।
-यह है मामला
बटियागढ़ ब्लॉक के मगरोन क्षेत्र निवासी आरती पत्नी लोकेंद्र लोधी की मौत 10 मार्च को जिला अस्पताल में हुई थी। उसके गर्भ में पल रहे जुड़वा बच्चे भी दुनिया नहीं देख पाए। प्रसूता हाइरिस्क थी। बीपी बढ़ना बताया गया था। बीपी कंट्रोल न होने के कारण प्रसूता की मौत होना बताया गया है।
वहीं, गैसाबाद निवासी शायबा पति फारूक की मौत दूसरे दिन शाम को हुई। उसका हीमोग्लोबिन 4.5 बताया गया। खून की कमी की वजह से प्रसव के बाद उसे ब्लीडिंग हुई, जो बंद नहीं हो रही थी। रेफर के बाद रास्ते में उसकी मौत हो गई थी।
-रात को दो घंटे बैठना है, पर नहीं मिलते विशेषज्ञ
एमसीएच में डॉक्टरों की ड्यूटी के लिए कलेक्टर ने एक निर्देश जारी किए थे। इसके अनुसार रात 8 से 10 बजे तक एक स्त्री रोग विशेषज्ञ तैनात किए जाने के निर्देश सीएस को दिए थे। मगरोन मामले में मृतका के चचेरे भाई का आरोप था कि शाम छह बजे उसने बहन को भर्ती किया था, पर डॉक्टर नहीं मिली थी। रात दस बजे डॉक्टर आई थी। चार घंटे तक बहन को कोई इलाज नहीं मिला।
तीन सदस्यीय कमेटी शासन की गाइड लाइन के अनुसार जांच करेगी। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अभी डीएचओ-१ नहीं है। वे भोपाल में हैं। दो दिन में जांच शुरू हो जाएगी।
डॉ. मुकेश जैन, सीएमएचओ दमोह

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