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दंतेवाड़ा

CG News: डीएमएफ के फंड पर ब्रेक, बिखरने लगा जिले का हेल्थ मॉडल, नौकरी छोड़ रहे डॉक्टर…

CG News: जिस बीजापुर के हेल्थ मॉडल की पूरे प्रदेश में चर्चा होती थी वहां की हालत अब सबसे खराब हो गई है। यहां अब वेतन नहीं मिल रहा है तो डॉक्टर नौकरी छोड़ रहे हैं।

दंतेवाड़ाDec 27, 2024 / 01:05 pm

Laxmi Vishwakarma

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CG News: बीजापुर जिले के डीएमएफ फंड को रोक दिया गया है। नया फंड जारी नहीं होने की वजह से विभागों के काम रुक गए हैं। कर्मचारियों को वेतन का भुगतान नहीं हो रहा है। डीएमएफ फंड पर ब्रेक लगने से जिले का हेल्थ मॉडल बिखरने लगा है। कभी इसी मॉडल की पूरे प्रदेश में चर्चा होती थी। जिले के बाहर से कई डॉक्टर यहां आकर अपनी सेवा दे रहे थे जो वेतन नहीं मिलने की वजह से अब नौकरी छोड़ रहे हैं। दो डॉक्टर रिजाइन कर चुके हैं और बाकी कतार में हैं।

CG News: कलेक्टरों की अध्यक्षता में किया था कमेटियों का गठन

कहा जा रहा है कि डीएमएफ का कोई हल नहीं निकाला गया तो जिलेे में स्वास्थ्य सुविधा लगभग ठप पड़ जाएगी क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के ज्यादातर कामों का भुगतान इसी मद से होता रहा है। बता दे कि केंद्र सरकार ने 2015 में प्रधानमंत्री खदान क्षेत्र कल्याण योजना के कानूनी प्रावधानों के तहत जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) का कानून बनाया था।
इसके तहत प्रदेश से निकलने वाले गौण खनिज की रॉयल्टी के अनुपात में एक निश्चित रकम डीएमएफ में जमा होती है। इसका खर्च जिले में जरूरत के हिसाब से किया जाता हैं। कलेक्टरों की अध्यक्षता में कमेटियों का गठन किया था। साल 2018 में कांग्रेस सरकार आने के बाद इस व्यवस्था को बदल दिया गया था।

दो डॉक्टरों ने रिजाइन किया, बाकी ने अल्टीमेटम दिया

वेतन नहीं मिलने से परेशान जिला अस्पताल के अब तक दो डॉक्टरो नें नौकरी छोड़ दी है। इनमें सचिन पापडे स्त्री रोग विशेषज्ञ, आरुषि शर्मा जनरल मेडिसीन शामिल हैं। डॉक्टरों ने इस संबंध में कलेक्टर को ज्ञापन भी दिया है। कहा जा रहा है कि बाकी डॉक्टरों ने भी जल्द नौकरी छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया है।
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स्वास्थ्य विभाग को 48 लाख का होता है भुगतान

फंड रुकने से बाकी विभागों के काम भी प्रभावित

लगभग सभी विभागों में फंड के काम रोके गए

स्वास्थ्य विभाग के 155 कर्मियों को इसी मद से भुगतान
डीएमएफ मद से स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को हर महीने 48 लाख का भुगतान किया जाता है।

जिले के 155 स्वास्थ्य कर्मियों का भुगतान इस मद से होता है।

बीजापुर में 90, भोपालपटनम में 17, भैरमगढ़ में 25, उसूर में 23 कर्मचारी कार्यरत है।
आलम यह हैं कि नक्सल प्रभावित जिले में डीएमएफ मद से नियुक्त कर्मचारियों को चार माह से वेतन नहीं मिल रहा हैं। क्योंकि जिले में अब फंड नहीं है।

बारह हजार सैलरी वाले शिक्षदूतों कि मुश्किलें बढ़ी

जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों में आज भी कई स्कूल झोपड़ियों में संचालित हो रहे हैं। इन स्कूलों में 12 हजार की सैलरी में 250 शिक्षादूत अपनी सेवा दे रहे हैं। इन शिक्षादूत को भी डीएमएफ से वेतन दिया जाता है। महीनों से इन्हें वेतन नहीं मिला है। यही स्थिति रहती है तो वे भी नौकरी छोड़ने को विवश होंगे और अंदरूनी इलाकों में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो जाएगी। बच्चों के भविष्य पर अभी से खतरा मंडरा रहा है।

फंड नहीं आने की वजह से दिक्कत

CG News: सीएमएचओ, बीआर पुजारी: डीएमएफ में बदलाव होने से फंड में दिक्कत हो रही है। हम प्रयास कर रहे हैं कि जल्द से जल्द राशि आवंटित हो और हम वेतन भुगतान करवा पाएं।
जिला अध्यक्ष डीएमएफ संघ, प्रेम कुमार आईल: पिछले कई महीने से वेतन बराबर नही मिल रहा है। इसकी शिकायत हमने स्वास्थ मंत्री से भी की है। शिकायत के बाद एक महीने का वेतन डला था लेकिन पिछले चार माह से वेतन नहीं मिल रहा है। कलेक्टर और सीएमएचओ को भी आवेदन दिया लेकिन फंड नहीं होने की बात कह रहे हैं।

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