Mother’s Day Special: बच्चों के लिए अपना पूरा जीवन कुर्बान
चार मासूम बच्चों के सिर से बचपन में ही माता-पिता का साया छीन गया। बच्चे इस दुनिया में अकेले हो गए। तब उनकी मौसी ने मां बनकर बच्चों की परवरिश शुरू की। बच्चों का बचपन और जीवन प्रभावित ना हो इसलिए उन्होंने आजीवन विवाह भी नहीं किया। उन्होंने अपना पूरा जीवन बच्चों को मुकाम तक पहुंचाने में लगा दिया। हम बात कर रहे हैं
भोपालपट्टनम की सरिता गट्टू की जिन्होंने बच्चों के लिए अपना पूरा जीवन कुर्बान कर दिया। आज उनकी त्याग और तपस्या का फल है कि उनके चारों बच्चे समाज में बेहतर जिंदगी जी रहे हैं। उनकी तीन लड़कियों में दो की सरकारी नौकरी लग चुकी है तीसरी की शादी हो गई है।
बच्चों के लिए शादी से इनकार कर दिया
सरिता के कन्धों पर छोटी उम्र से ही बच्चों के भरण-पोषण की बड़ी जिम्मेदारी थी। घर में चार बच्चों के अलावा बूढ़ी मां व छोटे भाई भी था। घर में मौजूद कुल सात सदस्यों के लिए उन्होंने दिन-रात एक कर मेहनत करते हुए एक छोटे से होटल को चलाना शुरू किया। चारों बच्चों की जिंदगी में अड़चन न आए इसके लिए अपनी शादी भी टाल दी। सुबह 4 बजे से उठकर दिन भर होटल में मेहनत कर बच्चों की हर जरूरत पूरी करती रहीं और उन्हें कोई कमी महसूस होने नहीं दिया।
चारों को बनाया काबिल
Mother’s Day Special: जब बच्चों के माता-पिता की मौत हुई तब सबसे छोटी बेटी नगीना एक साल की, जबकि बड़ी बहन मीना 5 वर्ष, नवीना 3 साल वहीं भाई स्वतंत्र 8 साल का था। मौसी मां ने बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाया। यही वजह है कि आज उसने बड़ी बेटी मीना और बेटे स्वतंत्र की शादी कर दी। जबकि दो बेटियों में एक शिक्षिका व दूसरी बेटी महिला बाल विकास में कार्यरत है। भोपालपट्नम की मस्जिद पारा में रहने वाली सरिता गट्टू की उम्र बीस वर्ष रही होगी जब उनकी बड़ी बहन की मौत हो गई। चूंकि उनके जीजा की मौत पहले ही हो गई थी ऐसे में मां की मौत के बाद उनकी चार बच्चे तीन बेटियां व एक बेटा अनाथ हो गए।
ऐसे हालत में उनकी मौसी मां सरिता ने उन्हें अपनाया और अपनी सारी खुशियां मां बनकर बच्चों पर ही न्योछावर कर दी और अपनी सारी जिंदगी बच्चों की परवरिश में लगा दी। बच्चों के माता-पिता बनी सरिता पिछले 35 वर्षो से नगर में मुख्य चौराहे पर सरिता होटल का संचालन कर रही है। इस छोटे से चाय-नाश्ते के होटल से ही उन्होंने बच्चों की परवरिश की है।