पंच केदार और भगवान शिव के अंगों का रहस्य
कहते हैं यहां भगवान शिव का एक हिस्सा है। जबकि भगवान के कूबड़ केदारनाथ में, भुजाएं तुंगनाथ में, मुख रुद्रनाथ में, नाभि मदमहेश्वर में और सिर सहित उनके बाल कल्पेश्वर में प्रकट हुए। केदारनाथ और ऊपर बताए गए चार मंदिरों को पंच केदार माना जाता है। जबकि यहां दर्शन के साथ नेपाल के काठमांडू में भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन की सलाह दी जाती है।शंक्वाकार शिवलिंग और नर-नारायण से जुड़ी कथा
केदारनाथ मंदिर के अंदर एक शंक्वाकार चट्टान है, जिसमें भगवान शिव को उनके सदाशिव रूप में पूजा जाता है। इस धाम का इतिहास भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण, पांडव और आदिगुरु शंकराचार्य से जुड़ा है। शिवपुराण की कोटि रुद्र संहिता में लिखा है कि पुराने समय में बदरीवन में विष्णु भगवान के अवतार नर-नारायण पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शिव का रोज पूजन करते थे। नर-नारायण की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां प्रकट हुए।अर्द्धज्योतिर्लिंग के रूप में केदारनाथ का महत्व
महादेव का यह पांचवां ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में है। इस ज्योतिर्लिंग को अर्द्धज्योतिर्लिंग कहा जाता है। मान्यता है कि पशुपतिनाथ मंदिर को मिलाकर यह पूर्ण होता है। यह मंदिर दर्शन के लिए 6 महीने तक खुला रहता है, और जब मंदिर दर्शनार्थियों के लिए बंद किया जाता है तो यहां एक अखंड दीपक जलाया जाता है। लेकिन, आश्चर्य की बात तो यह है कि 6 महीने बाद जब मंदिर का पट खुलता है तो दीपक जल रहा होता है।मंदाकिनी का उद्गम और हिमयुग का रहस्य
बाबा केदार जहां विराजते हैं, वहां मंदाकिनी नदी का उद्गम है। केदार भगवान शिव का दूसरा नाम है, जो रक्षक और संहारक हैं। वैसे केदारनाथ मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह मंदिर 400 साल तक बर्फ के नीचे दबा रहा। कहते हैं एक लघु हिमयुग के दौरान यह मंदिर पूरी तरह से बर्फ के नीचे रहा। वैसे केदारनाथ का एक अर्थ क्षेत्र का स्वामी या भगवान होता है। काशी केदार महात्मय में कहा गया है कि यहां दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।मोक्ष का मार्ग: केदारनाथ दर्शन और कुंड का महत्व
शिवपुराण के अनुसार, जो मनुष्य केदारनाथ के दर्शन करता है और वहां मौजूद कुंड का जलपान करता है, वह भी जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है। द्वादश ज्योतिर्लिंग स्त्रोत में केदारनाथ के बारे में वर्णित है।सुरासुरैर्यक्ष महोरगाढ्यैः केदारमीशं शिवमेकमीडे || जो भगवान शंकर पर्वतराज हिमालय के समीप मन्दाकिनी के तट पर स्थित केदारखण्ड नामक श्रृंग में निवास करते हैं तथा मुनीश्वरों के द्वारा हमेशा पूजित हैं, देवता-असुर, यक्ष-किन्नर व नाग आदि भी जिनकी हमेशा पूजा किया करते हैं, उन्हीं अद्वितीय कल्याणकारी केदारनाथ नामक शिव की मैं स्तुति करता हूं।