गोरखनाथ की माता काली से भेंट
एकबार गोरखनाथ एक रास्ते से जा रहे थे। तभी वहां काली मां प्रकट हुई और गोरखनाथ से बलि किसी जानवर की बलि देने के लिए कहा। गुरू गोरखनाथ ने माता काली को प्रणाम किया और देवी से कहा कि मां मैं आपको बलि नहीं दे सकता, क्योंकि यह मेरे सिंद्धान्त के खिलाफ है। गोरखनाथ माता से कहा कि अपनी खुशी या इच्छा प्राप्ति के लिए की असहाय जीव को बलि चढ़ा देना धर्म शास्त्र के अनुसार उचित नहीं है।
काली को अपनी शक्तियों पर अभिमान
धार्मिक मान्यता है कि गोरखनाथ की बतों को सुनकर माता काली क्रोधित हो गईं और गोरखनाथ से कहा कि मैं ऐसी देवी हूं, जिसका क्रोध शांत कराना किसी के वश की बात नहीं है। मेरे भय से दैत्य,दानव और असुर रास्ता बदल लेते हैं। देवी की इन बातों को सुनकर गोरखनाथ क्रोधित हो गए। गोरखनाथ ने देवी को कहा माता आप अपनी शक्तियों पर इतना अभिमान मत करिए। इतना सुनते ही काली ने अपना विक्राल रूप धारण कर लिया और गोरखनाथ को युद्ध के लिए ललकार दिया।
गोरखनाथ और काली के बीच युद्ध
मान्यता है कि दोनों के बीच महासंग्राम हुआ और माता काली की किसी भी शक्ति का गोरखनाथ पर कोई असर नहीं हुआ, तो देवी को समझ आया कि गोरखनाथ कोई साधारण साधु नहीं हैं। इसके बाद माता ने मधुमक्खी का रूप धारण किया और गोरनाथ के मुख से पेट में प्रवेश कर लिया और उनके पेट में अपना दंश मारने लगीं। जिससे गोरखनाथ को भारी पीणा हुई। जब उन्होंने अपनी योगविद्या से देखा तो पता चला कि देवी काली उनके अंदर प्रवेश कर गईं हैं, तो उन्होंने अपनी योग साधना के बल से अपने पेट के अंदर अग्नि पैदा करली और माता पेट के अंदर तपने लगीं।
गोरखनाथ की शर्त
इसके माता काली ने बाबा गोरखनाथ से क्षमा मांगी और पेट से बाहर निकालने के लिए कहा। गोरखनाथ ने माता को अपने पेट से निकालने से पहले शर्त रखी कि आप आज से लोगों की पीणा को दूर करोगी किसी को दर्द नहीं दोगी। माता ने गोरखनाथ की शर्त को स्वीकार किया और पेट से बाहर निकाल दिया। डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका
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