मिथिला महोत्सव में दिखा कला, संस्कृति और परंपराओं का संगम कर्नाटक मिथिला सांस्कृतिक परिषद की ओर से आयोजित मिथिला महोत्सव Mithila Mahotsav में मिथिलांचल की संस्कृति, परंपराओं और लोक संगीत का अनोखा संगम देखने को मिला। मैथिली भाषा में प्रस्तुत कलाकारों की गीतों ने समा बांध दिया। कार्यक्रम के अंत में होली पर आधारित फगुआ […]
मिथिला महोत्सव में दिखा कला, संस्कृति और परंपराओं का संगम
कर्नाटक मिथिला सांस्कृतिक परिषद की ओर से आयोजित मिथिला महोत्सव Mithila Mahotsav में मिथिलांचल की संस्कृति, परंपराओं और लोक संगीत का अनोखा संगम देखने को मिला। मैथिली भाषा में प्रस्तुत कलाकारों की गीतों ने समा बांध दिया। कार्यक्रम के अंत में होली पर आधारित फगुआ गीत पर दर्शक देर तक झूमते रहे।
विजयनगर के बंट संघ सभागार में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत रुद्राभिषेक से हुई। रुद्राभिषेक में पंडित राजगुरु के नेतृत्व में मंत्रोच्चार के साथ भगवान शिव की पूजा-अर्चना की गई। मिथिला की महिलाओं ने पार्थिव महादेव बना कर समारोह में चार चांद लगा दिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि दरभंगा के सांसद गोपालजी ठाकुर Darbhanga MP Gopal Jee Thakur के साथ संतोष मिश्रा, जीवानंद झा, राजस्थान पत्रिका बेंगलूरु के संपादकीय प्रभारी कुमार जीवेंद्र झा, अमितेश झा, डॉ सनी राज, गौतम कुमार आदि उपस्थित थे।
परिषद के अध्यक्ष पवन मिश्रा ने स्वागत किया। एच.सी झा, डी.एन.झा, बी.एन.ठाकुर, केशव चौधरी, किशन झा, पंडित राजगुरु, डॉ संजीव झा, हरिकृष्ण चौधरी, अवनीश, दीपक झा, प्रफुल्ल झा, विक्रम झा, गिरीश सत्यम मिश्रा, शालिनी मिश्रा, सुनील ठाकुर, मणिकांत झा, विक्रमादित्य झा, श्रीराम झा, रुपेश झा, कृष्णमोहन झा, मुकेश झा आदि का सहयोग रहा।
कार्यक्रम में रुद्राभिषेक के साथ ही महिलाओं के लिए अहिपन (अर्पण) प्रतियोगिता, बच्चों के लिए चित्रकारी प्रतियोगिता आयोजित की गई। गायक विकास झा, माधव राय, जूली झा, स्वाति झा, रामसेवक ठाकुर एवं स्थानीय मैथिली गायकों ने अपने रंगारंग गीतों की प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। मिथिला की महिलाओं और सखियों ने सुप्रसिद्ध लोक नृत्य झिझिया की प्रस्तुति कर मिथिला संस्कृति की सुनहरी झांकी प्रस्तुत की। स्थानीय कलाकार अरुनीता झा, शांभवी झा, प्रीतम झा, प्रियंका झा, अन्वेषा झा, स्वाति झा ने भगवती गीत से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।फगुआ गीत पर झूमे श्रोताविकास झा की जगदंब अहिं अबलंब हमर, हे माई अहां बिनु आस केकर… की प्रस्तुति ने सभी को मोहित कर दिया। जूली झा की मिथिला वर्णन की मनमोहक प्रस्तुति ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। माधव राय की मोहि लेलखिन सजनी मोरा मनमा पहुनमा राघो… की प्रस्तुति ने सभी को नाचने पर मजबूर कर दिया।
अंत में माधव राय, जूली झा, और विकास झा की फगुआ गीत पर लोग देर तक झूमते रहे। कार्यक्रम में अतिथियों, गायकों का मिथिला के परंपरागत पाग, स्मृति चिह्न आदि से सम्मान किया गया।