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Pongal Festival 2025: चार दिन क्यों मनाया जाता है पोंगल पर्व, जानिए हर दिन का क्या है महत्व

Pongal Festival 2025: पोंगल पर्व को दक्षिण भारत में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार के दिन लोग मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाकर खाते हैं। यह उनकी परंपरा से जुड़ा हुआ है, जो की धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।

जयपुरJan 09, 2025 / 10:55 am

Sachin Kumar

Pongal Festival 2025
Pongal Festival 2025: पोंगल दक्षिण भारत का प्रमुख त्योहार है। इस पर्व को खासकर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल में बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। यहां के रहवासी इसे नववर्ष और नई फसल के आगमन के रूप में मानते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं पोंगल त्योहार के बारे में।
दक्षिण भारत में पोंगल पर्व के दिन भगवान सूर्य देव की पूजा होती है। साथ किसान इस खास दिन से अपनी फसलों की कटाई की शुरुआत करते हैं। यह त्योहार चार दिन तक मनाया जाता है। जिसमें हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है।

कब मनाया जाएगा पोंगल (When will Pongal be celebrated)

साल 2025 में यह त्योहार 14 से 17 जनवरी तक मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने पर मकर संक्रांति, लोहड़ी और पोंगल पर्व मनाए जाते हैं।

4 दिन मनाया जाता है पोंगल पर्व (Pongal festival is celebrated for 4 days)

भोगी पोंगल (14 जनवरी 2025): यह पोंगल का पहला दिन होता है। तमिलनाडु को लोग इस दिन पुराने सामानों को त्यागकर नए सिरे से जीवन शुरू करने की परंपरा है। इस दिन लोग अपने पुराने सामानों को जलाकर नाच-गाना आदि करते हैं।
सूर्य पोंगल (15 जनवरी 2025): पोंगल के दूसरे दिन मुख्य रूप से सूर्य देवता की पूजा की जाती है और नई फसल से तैयार किए गए पकवान चढ़ाए जाते हैं। इसे मुख्य पोंगल दिवस भी कहते हैं।
मात्तु पोंगल (16 जनवरी 2025): इस पर्व का तीसरा दिन गाय गायों और बैलों को समर्पित होता है। इस दिन उनको नहलाया जाता है साथ ही उनके सींगों को रंग कर सजाया जाता है। इसके बाद उनकी पूजा की जाती है।
कन्या पोंगल (17 जनवरी 2025): यह पोंगल का चौथ और आखिरी दिन होता है। जिसे तिरुवल्लूर नाम से भी जाना जाता है। सामाजिक मेलजोल और रिश्तों को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है।
पोंगल पूजा का शुभ समय: 2025 में सूर्य पोंगल के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 8:00 बजे से 10:30 बजे तक रहेगा। इस दौरान भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा करनी चाहिए।

पोंगल का महत्व (importance of pongal)

यह त्योहार मुख्य रूप भगवान सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन लोग अपनी आस्था और श्रद्धा के अनुसार दूध और नए चावल की खीर बनाते हैं। इसे सर्व प्रथम भगवान सूर्य को अर्पित करते हैं। चार दिन चलने वाले पोंगव त्योहार पर लोग हर दिन अलग-अलग पूजन करके इसे सेलिब्रेट करते हैं।

पोंगल से जुड़ी परंपराएं (Pongal related traditions)

घर को रंगोली और फूलों से सजाना।

सूर्य को प्रसाद अर्पित करना।

बैलों की दौड़ और पारंपरिक खेलों का आयोजन।

पूरे देश को संदेश (message to the whole country)

पोंगल त्योहार केवल दक्षिण भारत को ही नहीं, बल्कि पूरे देश में खुशी और समृद्धि का संदेश देता है। इसे हर साल पूरे उत्साह और आस्था के साथ मनाना चाहिए।
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डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

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