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Shattila Ekadashi 2025: यज्ञ से ज्यादा प्रभावशाली है षटतिला एकादशी का व्रत, स्कंद पुराण से जानिए इसका महत्व

Shattila Ekadashi 2025: षट्तिला एकादशी का व्रत रखकर तिलों से स्नान, दान, तर्पण और पूजन किया जाता है। इस दिन तिल का उपयोग स्नान, प्रसाद, भोजन, दान और तर्पण में होता है।

जयपुरJan 24, 2025 / 04:01 pm

Sachin Kumar

Shattila Ekadashi 2025

षटतिला एकादशी का व्रत

Shattila Ekadashi 2025 Date: षट्तिला एकादशी माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कहते हैं। इस दिन भक्त छह तरीकों से तिल का उपयोग करके भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। षट्तिला का अर्थ ही छह तिल है। इसलिए इस एकादशी का नाम षट्तिला एकादशी पड़ा। षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है और उसे जीवन में वैभव प्राप्त होता है।
षटतिला एकादशी के दिन भक्त छह प्रकार से तिल का उपयोग करते हैं – तिल से स्नान, तिल से तर्पण, तिल का दान, तिल युक्त भोजन, तिल से हवन और तिल मिश्रित जल का सेवन। यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है।
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यज्ञ से भी ज्यादा फल देता है एकादशी व्रत

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास अनुसार एकादशी को हरी वासर यानी भगवान विष्णु का दिन कहा जाता है। विद्वानों का कहना है कि एकादशी व्रत यज्ञ और वैदिक कर्म-कांड से भी ज्यादा फल देता है। पुराणों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से मिलने वाले पुण्य से पितरों को संतुष्टि मिलती है। स्कंद पुराण में भी एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है। इसको करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं।

स्कंद पुराण में है एकादशी व्रत का जिक्र

हिंदू पंचांग के अनसार एक वर्ष में कुल 24 एकादशियां आती हैं। जिस साल अधिक मास रहता है। उस साल में कुल 26 एकादशियां हो जाती हैं। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में सालभर की सभी एकादशियों का महत्व बताया गया है। भगवान श्रीकृष्ण ने पांडव पुत्र युधिष्ठिर को एकादशियों के बारे में जानकारी दी थी।
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उन्होंने कहा कि जो भक्त एकादशी व्रत करते हैं। उन्हें भगवान श्रीहरि की कृपा मिलती है। नकारात्मक विचार दूर होते हैं। अक्षय पुण्य मिलता है। घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। एकादशी पर भगवान विष्णु के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय का जप और देवी लक्ष्मी का अभिषेक करना चाहिए। दोनों देवी-देवता को पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। फूलों से श्रृंगार करें। तुलसी के पत्तों के साथ मिठाई और मौसमी फलों का भोग लगाएं।

षट्तिला एकादशी की तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि का प्रारंभ 24 जनवरी 2025 को शाम 07 बजकर 25 मिनट पर हो रहा है। वहीं एकादशी तिथि का समापन 25 जनवरी को रात 08 बजकर 31 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, षटतिला एकादशी शनिवार, 25 जनवरी को मनाई जाएगी।
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षट्तिला एकादशी का महत्व

षट्तिला एकादशी भगवान विष्णु की प्रिय एकादशी तिथियों में से एक मानी जाती है। इसका व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। घर में सुख-समृद्धि आती है। इस व्रत को करने से दरिद्रता और दुखों से मुक्ति मिलती है। यहां तक कि अगर आप व्रत नहीं कर सकते तो सिर्फ कथा सुनने से भी वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। यह व्रत वाचिक, मानसिक और शारीरिक तीनों तरह के पापों से मुक्ति दिलाता है। इस व्रत का फल कन्यादान, हजारों सालों की तपस्या और यज्ञों के बराबर माना गया है।

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