अमावस्या का महत्व
गरुड़ पुराण के अनुसार सोमवती अमावस्या की तिथि पर पितरों का तर्पण करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन पितरों को तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही व्रत, पूजन और पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है। महिलाएं सोमवती अमावस्या के दिन पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।
शुभ समय
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास के अनुसार पौष मास की अमावस्या का शुभ समय 30 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगा। वहीं इसका समापन अगले दिन 31 दिसंबर की सुबह 03 बजकर 56 मिनट पर होगा।
पूजा विधि
सोमवती अमावस्या के शुभ अवसर पर गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत पुण्यकारी होता है। इस दिन स्नान करने का शुभ समय सूर्योदय से पूर्व माना जाता है। इसके स्नान के बाद सुर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा करने से भगवान सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करना शुभ माना जाता है। मान्यता है ऐसा करने से माता लक्ष्मी जी खुश होती हैं और उनका आशीर्वाद मिलता है। सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिन महिलाओं को पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। यह सुहाग की लंबी आयु के लिए बहुत फलदायी होता है।
सोमवती अमावस्या
अमावस्या तिथि जब सोमवार के दिन पड़ती है। तब इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। पौष माह की सोमवती अमावस्या का दिन आत्मशुद्धि, पितृ तर्पण और भगवान शिव की उपासना करने का शुभ अवसर है। यदि इस दिन विधिपूर्वक पूजा और उपाय किए जाएं तो घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।