ग्रामीणों ने उठाए सवाल
इस कार्रवाई को लेकर क्षेत्र में कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यदि अतिक्रमण हटाना ही था, तो बरसात के ठीक पहले का समय क्यों चुना गया। दो माह पूर्व यह कार्रवाई की जाती तो ग्रामीणों को भी वैकल्पिक व्यवस्था करने का समय मिल जाता। ग्रामीणों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि वनभूमि पर निवासरत पात्र व्यक्तियों को सर्वे कराकर वन अधिकार पट्टा दिया जाएगा। शासन की नीति ही पुनर्वास और अधिकार पत्र देने की है, तो इस तरह हटाने की कार्रवाई क्यों की गई। इसे लेकर दिनभर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। स्थानीय नागरिकों ने सवाल उठाया कि जब इस क्षेत्र में प्रशासन के आदेश पर वनाधिकार कानून के तहत लाभांवित करने के लिए सर्वे कराया गया था, तो कुछ लोगों को जानबूझकर उस सूची से बाहर रखा गया।
शांतिपूर्ण तरीके से पूरी हुई कार्रवाई
कार्रवाई के दौरान कुछ असामाजिक तत्वों ने माहौल बिगाडऩे का भी प्रयास किया, लेकिन प्रशासनिक अमले की तत्परता के चलते स्थिति को तुरंत काबू में कर लिया गया। पुलिस बल की उपस्थिति में अभियान बिना किसी व्यवधान के चला। वन विभाग का कहना है कि यह पूरी कार्रवाई विधिसम्मत एवं उच्च अधिकारियों के दिशा-निर्देशानुसार की गई है। विभाग द्वारा आगे भी इस क्षेत्र में निगरानी रखी जाएगी ताकि दोबारा अतिक्रमण न हो। साथ ही वैधानिक प्रक्रिया के तहत दोषियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।