CG News: कई विलुप्तप्राय प्राणी भी
पिछले साल जून में पकड़े गए शिकारियों ने भी वन अमले से यही बात कही थी। यहां जंगलों में माउस डियर और माला बार पाइड हॉर्नबिल जैसी और भी कई विलुप्तप्राय प्राणी भी रहते हैं। ऐसे में लोगों को शेड्यूल-1 श्रेणी में आने वाले प्राणियों के बारे में जागरूक कर उन्हें सुरक्षित रखना वन अमले के लिए बड़ी चुनौती हो गई है। मामले में शिकारियों की गिरतारी भी बड़े नाटकीय तरीके से हुई। जानकारी के अनुसार वन अमला पोटाश बम खाने से घायल हुए हाथी के बच्चे के रेस्क्यू में जुटा था। टीम उसे तलाशने गाताबहरा होते हुए खल्लारी साल्हेभाठ से आगे बढ़ रही थी। देर रात 12.30 बजे टीम को लिखमा रोड से दो बाइक टांगरीडोंगरी के जंगलों की ओर जाती दिखी। पीछा कर एक बाइक को रोकने में सफल रहे, जबकि दूसरी बाइक पर सवार लोग भाग निकले। टीम ने बेलरगांव के धनसाय गोंड़ और विश्रामपुरी के अरूण गोंड़ की तलाशी ली। उनके 2 झोले से टीम को 2 गुलेल और मिट्टी की 71 गोटी मिली। एक बड़ा टॉर्च भी था।
पूछताछ में इन्होंने बताया कि शिकार पर निकले हैं। अपने तीन साथियों सुरेंद्र गोंड़, थानेश्वर गोंड़ और रजमन गोंड़ के साथ उड़न गिलहरी का शिकार करने की बात भी कबूली। उन्होंने बताया, तीन प्रशिक्षित कुत्तों की मदद से उड़न गिलहरी को खोजा। फिर गुलेल से मार गिराया।
उड़न गिलहरी के बारे में, सबकुछ…
भारतीय विशाल गिलहरी या मालाबार विशाल गिलहरी (रतूफा इंडिका) को लोकल लैंग्वेज में केराटी नाम से भी जाना जाता है। बहुरंगी होने की वजह से इसे इंद्रधनुष गिलहरी भी कहा जाता है। यह शाकाहारी गिलहरी भारत के जंगलों और वुडलैंड में पाई जाती है। है। नम सदाबहार जंगलों और वुडलैंड में ये 180 से 2,300 मीटर (590-7550 फीट) की ऊंचाई पर पाई जाती हैं। अपने घरौंदे को लेकर ये असहिष्णु होती हैं। यही वजह है कि सबसे दूर ये पेड़ों पर कम से कम 36 फीट की ऊंचाई पर अपना घोसला बनाती हैं। ये शायद ही कभी पेड़ों से नीचे आती हैं। 20 फीट तक की छल्लांग लगाकर एक पेड़ से दूसरे पेड़ जाती है।
खतरे में भागने के बजाय ये अक्सर पेड़ के तने से चिपक जाती हैं। इनके मुय शिकारी उल्लू और तेंदुए हैं। ये विशाल गिलहरी ज्यादातर सुबह-शाम के शुरुआती घंटों में सक्रिय रहती है। दोपहर में आराम करती है।
आमतौर पर एकांत रहती हैं। ये प्राणी केवल प्रजनन के लिए साथ आते हैं। माना जाता है कि यह प्रजाति बीज फैलाव में संलग्न होकर परिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनका आहार फल-फूल और पेड़ों की छाल है।
भारतीय विशाल गिलहरी वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम की अनुसूची एक में दर्ज है। इसके शिकार पर 3 साल से लेकर सात साल तक कारावास और 25 हजार जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
शाही पंख, सींग, दांत बरामद
एंटी पोचिंग टीम ने केस बनाकर ततीश शुरू की। धमतरी जाकर फरार आरोपी सुरेंद्र के गांव बुड्रा में छापा मारा। तलाशी के दौरान घर से हिरण के 2 सींग, जंगली सुअर का दांत, शाही पंख, खरगोश फंदा, साल-सागौन की चिरान के साथ हाथ-आरा भी बरामद किया गया। फरार दोनों शिकारी भी गांव में ही दबोचे गए। इसके बाद विभाग ने चारों शिकारियों के खिलाफ वन्यप्राणी संरक्षण्र अधिनियम 1972 की धारा 9, 27, 29, 31, 50, 51 (1-ग) और 52 के तहत केस बनाकर उन्हें नगरी के कोर्ट में पेश किया। न्यायालय ने शिकारियों को न्यायिक रिमांड पर धमतरी जेल भेज दिया है। कार्रवाई में एंटी पोचिंग टीम के सब नोडल अधिकारी शैलेश बघेल, वन रक्षक रतन लाल यादव, दीपेन्द्र राजपूत, शिवलाल मरकाम, दीनानाथ यादव की भूमिका रही।