scriptRajim Kumbh Mela 2025: राजिम में माघ मेला को कुंभ कल्प के नाम से क्यों जाना जाता है? जानें इसकी मान्यता.. | Rajim Kumbh Mela 2025: Why is Magh Mela known as Kumbh Kalpa | Patrika News
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Rajim Kumbh Mela 2025: राजिम में माघ मेला को कुंभ कल्प के नाम से क्यों जाना जाता है? जानें इसकी मान्यता..

Rajim Kumbh Mela 2025: छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा माघ मेला सज चुका है। देश-दुनिया में अब यह कुंभ कल्प के नाम से पहचाना जाता है।

गरियाबंदFeb 13, 2025 / 12:51 pm

Shradha Jaiswal

Rajim Kumbh Mela 2025: राजिम में माघ मेला को कुंभ कल्प के नाम से क्यों जाना जाता है? जानें इसकी मान्यता..
Rajim Kumbh Mela 2025: राजिम में छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा माघ मेला सज चुका है। देश-दुनिया में अब यह कुंभ कल्प के नाम से पहचाना जाता है। सरकार ने इस लायक इंतजाम बनाने पर करोड़ों रुपए खर्च भी किए हैं। हालांकि, पिछले सालों के मुकाबले इस बार मेले में भीड़ आधे से भी कम है। श्री राजीव लोचन और कुलेश्वर महादेव मंदिर के साथ त्रिवेणी संगम पर सुबह भीड़ दिखी, लेकिन समय के साथ यह छंटने लगी। जबकि, पिछले सालों में दिन चढ़ने के साथ भक्तों की भीड़ भी बढ़ती जाती थी।

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नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए सरकार ने इस बार मेले को त्रिवेणी संगम से तकरीबन 750 मीटर दूर चौबेबांधा पुल के पास शिफ्ट कर दिया है। यहां 68 एकड़ में मेला सजा है। ताम-झाम से सजे इस मेले में मनोरंजन करने वालों की कमी साफ नजर आ रही थी। कारण तलाशने पर पता चला कि माहौल अभी चुनावी है।
Rajim Kumbh Mela 2025: राजिम में माघ मेला को कुंभ कल्प के नाम से क्यों जाना जाता है? जानें इसकी मान्यता..
दरअसल, प्रदेश में अब पंचायतों के चुनाव होने हैं। पंचायतों के चुनाव 17 से 23 फरवरी के बीच तीन चरणों में निपटने हैं। राजिम में कुंभ कल्प 26 फरवरी तक रहेगा। अनुमान है कि आखिरी के 3 दिनों में भीड़ उमड़ेगी। इधर, कुंभ कल्प के शुभारंभ में राज्यपाल तो आए, लेकिन सरकार से कोई बड़े प्रतिनिधि नजर नहीं आए। यह पहला मौका रहा, जब राजिम मेले के मंच पर नेताओं ने दूरी बनाई। आचार संहिता के चलते सीएम, मंत्री, सांसद अभी ऐसे कार्यक्रमों में शिरकत नहीं कर सकते।

पुरी के पट बंद… क्योंकि जन्मदिन पर राजीव लोचन से मिलने पहुंचे जगन्नाथ

माघ पूर्णिमा पर भगवान राजीव का जन्मोत्सव मनाया गया। मान्यता के मुताबिक इस दिन जगन्नाथ महाप्रभु खुद चलकर राजीव लोचन से मिलने आते हैं। यही वजह रही कि बुधवार को ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर के पट बंद रहे। इधर, मंदिर में तैयारियों की बात करें तो इस खास मौके के लिए पूरे परिसर को तीन क्विंटल फूलों से सजाया गया था। पीतांबरी, चंदन और काछनी से भगवान का विशेष शृंगार किया गया था। मंदिर के सर्वराकार चंद्रभान सिंह ठाकुर ने बताया कि जन्मोत्सव पर भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर के पट तड़के 3.30 बजे खोल दिए गए थे।
Rajim Kumbh Mela 2025: राजिम में माघ मेला को कुंभ कल्प के नाम से क्यों जाना जाता है? जानें इसकी मान्यता..
जन्मोत्सव पर भगवान ने दोपहर तक बाल रूप में दर्शन दिए। दोपहर 12 बजे मंदिर की शिखर पर नई ध्वजा फहराई गई। 21 बजे भगवान का मुकट उतारकर पगड़ी पहनाई। इस वक्त भगवान युवावस्था में नजर आए। सर्वांग स्नान के बाद प्रभु की मनोहारी छवि देख हर भक्त मोहित हो उठा। रात 8.30 बजे एक और आरती की गई। इस दौरान 15-20 मिनट के लिए पट बंद कर भगवान के सारे शृंगार उतार दिए गए। फिर भगवान ने वृद्धावस्था में दर्शन दिए।

2 बसें निशुल्क ताकि मेला घूमना आसान हो

मेला इस बार संगम से दूर सजा है। बस स्टैंड से श्री राजीव लोचन और भगवान कुलेश्वर महादेव मंदिर, फिर 750 मीटर दूर नए मेला ग्राउंड तक आने-जाने में श्रद्धालुओं को तकलीफ न हो, इसलिए 2 बसे निशुल्क चलवाई जा रहीं हैं। इसका कंट्रोल रूम बस स्टैंड में ही बनाया गया है।
इस बार का मेला पंचकोसी धाम यात्रा की थीम पर सजाया गया है। यहां मधेश्वर पहाड़ जैसी झांकियां लोगों को रिझा रहीं हैं। मीना बाजार और फूड जोन भी आकर्षण का केंद्र हैं। वहीं, पुराने मेला मैदान में संत समागम, महानदी आरती और रेंटल रेसीडेंस जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

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