scriptआस्था…आर्थिकी समृद्धि का कारण बन सकती है, महाकुंभ इसका उदाहरण : सीएम योगी | Faith can lead to economic prosperity, Maha Kumbh is an example of this: CM Yogi Adityanath | Patrika News
गोरखपुर

आस्था…आर्थिकी समृद्धि का कारण बन सकती है, महाकुंभ इसका उदाहरण : सीएम योगी

योग की कोई भी विधा हो—हठयोग, राजयोग, लययोग या मंत्रयोग—सभी का उद्देश्य एक ही है। भारतीय मनीषा ने बहुत पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि ‘एकं सद् विप्रा बहुधा वदंति’, अर्थात सत्य एक ही है, बस उसे प्राप्त करने के मार्ग भिन्न-भिन्न हो सकते हैं।

गोरखपुरMar 25, 2025 / 10:34 pm

anoop shukla

DDU गोरखपुर विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “भारतीय योग परंपरा में योगीराज बाबा गंभीरनाथ जी का अवदान” का विधिवत उद्घाटन मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ द्वारा किया गया। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने की। उन्होंने स्वागत संबोधन में कहा कि “भारतीय ज्ञान, साधना और भक्ति परंपरा में नाथपंथ का महत्वपूर्ण योगदान है।”

रास्ते अलग हो सकते हैं, लेकिन मंज़िल एक

उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि “आस्था आर्थिकी का कारण बन सकती है, महाकुंभ ने दुनिया को इसकी ताकत समझाई। यदि पूर्व की सरकारों ने इसे समझा होता, तो प्रदेश संकट की स्थिति से नहीं गुजरता।उन्होंने आगे कहा कि “अनेक देशों में उपासना विधियाँ पाई जाती हैं, लेकिन उनमें मतभिन्नता होती है। भौतिक जगत से जुड़े आयामों की सीमाएँ होती हैं। रास्ते अलग हो सकते हैं, लेकिन मंज़िल एक ही है—यह केवल भारतीय मनीषा ही कह सकती है।”

समस्या दुनिया में नहीं, बल्कि हमारे भीतर थी

मुख्यमंत्री ने भारतीय ज्ञान परंपरा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “समस्या दुनिया में नहीं, बल्कि हमारे भीतर थी, क्योंकि हम उपनिषदों से दूर हो गए। हम दुनिया के पीछे भाग रहे थे, लेकिन अब बीते दस वर्षों में आप एक बदले हुए भारत को देख रहे हैं। आज हर कोई भारत से मित्रता करना चाहता है। चीन भी योग पर विशेष आयोजन करता है और बौद्ध दर्शन की बात करता है। यही भारत की विजय है।उन्होंने कहा कि “सिद्ध योगियों की परंपरा को संरक्षित किया जाना चाहिए। ऐसा न हो कि इसे कोई अन्य देश पेटेंट करा ले।”

सत्य एक ही है…मार्ग भिन्न भिन्न हो सकते हैं

‘एकं सद् विप्रा बहुधा वदंति’, अर्थात सत्य एक ही है, बस उसे प्राप्त करने के मार्ग भिन्न-भिन्न हो सकते हैं मुख्यमंत्री ने कहा कि “योग की विशिष्टता को सिद्धि तक पहुंचाने तथा साधना को लोक कल्याण का माध्यम बनाने का कार्य योगीराज बाबा गंभीरनाथ जी ने संपन्न किया था।” उन्होंने भारतीय योग परंपरा में बाबा गंभीरनाथ जी के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत की सिद्ध साधना ही योग की विभिन्न विधाओं का मूल आधार है।

सीएम ने दी कुलपति को बधाई

मुख्यमंत्री ने कहा कि “गोरखपुर विश्वविद्यालय में बाबा गंभीरनाथ जी पर केंद्रित यह राष्ट्रीय संगोष्ठी अत्यंत प्रासंगिक है।” उन्होंने इस आयोजन के लिए कुलपति प्रो. पूनम टंडन और पूरी आयोजन समिति को बधाई दी।

भक्ति परंपरा में नाथपंथ का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है : कुलपति

कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा, “भारतीय ज्ञान साधना और भक्ति परंपरा में नाथपंथ का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। शिव अवतारी गुरु गोरखनाथ ने इसे एक परिष्कृत एवं व्यवस्थित स्वरूप प्रदान किया और योगीराज बाबा गंभीरनाथ जी ने इस परंपरा को सिद्धि तक पहुंचाया। यह हमारा सौभाग्य है कि इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में हमें योगी आदित्यनाथ जी का मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है।” उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की हीरक जयंती के अवसर पर यह संगोष्ठी और भी विशेष हो जाती है।

संगोष्ठी में चार पुस्तकों का विमोचन

इस उद्घाटन सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा चार महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन भी किया गया, जो भारतीय योग परंपरा और योगीराज बाबा गंभीरनाथ जी के योगदान पर केंद्रित हैं।इस संगोष्ठी में विभिन्न विद्वानों और शोधकर्ताओं द्वारा भारतीय योग परंपरा में नाथपंथ और योगीराज बाबा गंभीरनाथ जी के योगदान पर गहन चर्चा की गई।

Hindi News / Gorakhpur / आस्था…आर्थिकी समृद्धि का कारण बन सकती है, महाकुंभ इसका उदाहरण : सीएम योगी

ट्रेंडिंग वीडियो