स्वयंसेवक,मर्यादा पुरूषोतम राम के आदर्शों पर कार्य करते हैं
सभी शाखाएं एक साथ लगी और शाखाओं मैं होने वाली गतिविधियां सूर्य नमस्कार, खेल, योग, आसन आदि संचालित की गई। बाल, तरुण एवं प्रौण स्वयंसेवको में बहुत आनंद एवं उत्साह का माहौल रहा। प्रवासी कार्यकर्ताओं द्वारा शाखाओं का निरीक्षण हुआ तथा वृत्त निवेदन हुआ। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रांत प्रचारक रमेश जी ने कहा संघ शताब्दी वर्ष पर पंच परिवर्तन को लेकर समाज में कार्य कर रहा है, उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के आदर्शों को मानकर कार्य करते हैं।
कलयुग में संघावतार देश के लिए वरदान है
उन्होंने बताया कलयुग में संघावतार देश के लिए वरदान है, कलयुग में संगठन शक्ति ही जागृति का आधार बनेगी, संघ रूपी एक विराट शक्ति का प्रक्टय हुआ है ईश्वरी शक्ति का प्रक्टय हुआ है जिसको संघवतार भी कहेंगे इसमें आती सूक्ति नहीं होगी। स्वयंसेवक संपूर्ण देश की सुरक्षा, संपूर्ण मानवता की रक्षा के लिए लिए अनवरत कार्य करता है। स्वयंसेवक का ध्येय सर्वे भवंतु शुखिन: सर्वे संतु निरामया जो भारतीय परंपरा संस्कृति का उद्घोष है इस उद्घोष के अनुरूप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक कार्य करता है।
हिंदू संस्कृति और संघ संस्कृति एक
भारतीय परंपरा भारतीय संस्कृति और संघ संस्कृति एकाकार हैं, हिंदू और भारतीय संस्कृति जिस प्रकार से एक संस्कृति है इस प्रकार से हिंदू संस्कृति और संघ संस्कृति एक ही है। इस अवसर पर मुख्य रूप से विभाग संघचालक शेषनाथ, विभाग कार्यवाह संजय, विभाग प्रचारक अजय नारायण, क्षेत्र धर्म जागरण प्रमुख परमेश्वर, प्रांत व्यवस्था प्रमुख हरे कृष्ण, प्रांत बौद्धिक प्रमुख अरविन्द, प्रांत प्रचार प्रमुख सुशील, उमेश, भाग कार्यवाह सुधीर, भाग प्रचारक ओम नारायण, सायं भाग प्रचारक आर्यम, मुकेश, अमरदीप, दुर्गेश, बृजेश, अनूप, जितेन्द्र, कामेश, देवेश सहित भाग कार्यकारिणी, सभी नगरों के संघचालक, नगर कार्यवाह उपस्थित रहे।