परम आनंदमय आध्यात्मिक भाव का अनुभव
रथ यात्रा इस बात का प्रतीक है कि बृजवासी भगवान श्री कृष्ण को द्वारिका के ऐश्वर्या से पुनः वृंदावन की मधुरता की ओर ले जाना चाहते हैं। इस परम आनंदमय आध्यात्मिक भाव को ही रथ यात्रा के माध्यम से अनुभव किया जाता है। कलयुग के बद्ध आत्माओं पर करुणा वर्षा करने हेतु ही अखिल ब्रह्मांड नायक श्री जगन्नाथ अपने गर्भ ग्रह को छोड़कर रथ पर आरुण होते हुए जन समूह के बीच में जाकर सभी को अपनी सेवा का अवसर प्रदान करते हैं।भगवान जगन्नाथ बलदेव एवं सुभद्रा महारानी की भव्य रथ यात्रा
जहां 5 जुलाई को इस्कॉन गोरखपुर द्वारा भगवान जगन्नाथ बलदेव एवं सुभद्रा महारानी की भव्य रथ यात्रा निकाली गई वहीं पुरी में अदानी समूह और इस्कॉन द्वारा मिलकर लगभग 40 लाख से भी अधिक श्रद्धालुओं को निःशुल्क भोजन और सेवा उपलब्ध कराई जा रही है।मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे महापौर मंगलेश
इस्कॉन गोरखपुर की विशेष रथ यात्रा में महापौर मंगलेश श्रीवास्तव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। साथ ही इस्कॉन गोरखपुर के अध्यक्ष आदिश्याम के द्वारा अत्यंत मधुर जगन्नाथ कथा की गई। प्रभु जी ने बताया कि पुरुषोत्तम भगवान श्री जगन्नाथ ही कलयुग में हमारे एक मात्र आश्रय हैं। जगन्नाथ रथ यात्रा के उपलक्ष्य पर हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।वृंदावन से आई टोली ने साक्षात पुरी धाम का अनुभव कराया
रथ यात्रा के दौरान वृंदावन से आई संकीर्तन टोली के भक्तों द्वारा अत्यंत मधुर कीर्तन प्रस्तुत किया गया।हरे कृष्ण महामंत्र के कीर्तन, भगवान श्री जगन्नाथ के प्रिय गीतों से ऐसा प्रतीत हुआ मानो साक्षात श्री पुरी धाम की जगन्नाथ यात्रा में ही उपस्थित हों ।
मृदंग ,करताल एवं वाद्य यंत्रों के इस अलौकिक वातावरण में सभी भक्त आनंदपूर्वक नृत्य करते रहे।
भगवान श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा के प्रारंभ मंडप पर अत्यंत सुंदर, आकर्षक एवं विशाल रंगोली के द्वारा श्री भगवान का स्वागत किया गया।
भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं की झांकियों ने मन मोहा
सांस्कृतिक कार्यक्रम में भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं को झांकियों के माध्यम से दर्शाया गया।रथ यात्रा समाप्ति के पश्चात भगवान श्री जगन्नाथ का स्वादिष्ट महा प्रसाद सभी उपस्थित श्रद्धालुओं को वितरित किया गया। भक्तिवेदांत स्वामी श्रील प्रभुपाद के द्वारा श्री जगन्नाथ की कृपा को संपूर्ण विश्व में प्रसारित किया गया। आज इस्कॉन के द्वारा संपूर्ण भारतवर्ष में डेढ़ सौ से भी अधिक स्थानों में रथ यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। निश्चित ही भगवान श्री जगन्नाथ की कृपा के अतिरिक्त हमारे उधर का अन्य कोई स्रोत नहीं है।