अतिथि विद्वानों को मानदेय नहीं बल्कि शासकीय कॉलेजों के समकक्ष 50 हजार रुपए निश्वित वेतन दिया जाए। अतिथि विद्वानों की पेपर सेटिंग, उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन, प्रायोगिक परीक्षा में उपयोगिता एवं अतिथि विद्वानों की भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण देने की मांग की।
अतिथि विद्वानों ने बताया कि प्रदेश के विक्रम विश्वविद्यालय, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, अवधेश प्रताप विश्वविद्यालय में अतिथि विद्वानों को पचास हजार रुपए वेतनमान दिया जा रहा है, इसलिए जेयू में भी इसी तरह का वेतनमान दिया जाए। कुलगुरु ने सभी अतिथि विद्वानों से कहा कि जो मांगे हैं, उन्हें पूरा करने के लिए विधि राय लेकर आगामी कार्रवाई की जाएगी।