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रजिस्ट्री लेखन का कितना शुल्क, आज तक पता नहीं, सेवा प्रदाताओं के यहां लुट रहे लोग

– संपदा 2.0 : पारदर्शिता का दावा हवा – निर्धारित रेट से कई गुना पैसा ले रहे पक्षकारों से, न कार्यालय में रेट लिस्ट लगाई, न पंजीयन विभाग में – 500 से 1000 रुपए के काम के खर्च करने पड़ रहे 7000 रुपए तक, ग्वालियर सहित प्रदेश के कई जिलाें में मनमानी ग्वालियर. पंजीयन विभाग […]

ग्वालियरJul 10, 2025 / 07:17 pm

प्रवेंद्र तोमर

– संपदा 2.0 : पारदर्शिता का दावा हवा

– निर्धारित रेट से कई गुना पैसा ले रहे पक्षकारों से, न कार्यालय में रेट लिस्ट लगाई, न पंजीयन विभाग में

– 500 से 1000 रुपए के काम के खर्च करने पड़ रहे 7000 रुपए तक, ग्वालियर सहित प्रदेश के कई जिलाें में मनमानी
ग्वालियर. पंजीयन विभाग ने रजिस्ट्री, मुख्तारनामा, अनुबंध पत्र, विवाह विच्छेद, शपथ पत्र, प्रतिलिपि तक के रेट तय किए हैं, लेकिन पक्षकार को लेखन के रेट पता नहीं। इस कारण काफी सेवा प्रदाताओं के ऑफिस में पक्षकार लुट रहे हैं। ये स्थिति प्रदेशभर में है। पत्रिका रिपोर्टर ने पंजीयन कार्यालय व सेवा प्रदाताओं के यहां पड़ताल की। अनुपम नगर के एक फ्लैट की रजिस्ट्री के लिए सेवा प्रदाताओं के ऑफिस में पहुंचे। सेवा प्रदाताओं ने खुद के लेखन के 2500 से 3000 रुपए मांगे। ऑफिस के अंदर का 2500 से बताया, लेकिन विभाग द्वारा निर्धारित रेट लिस्ट किसी भी सेवा प्रदाता की ऑफिस में नहीं थी। न पंजीयन विभाग के बाहर या अंदर चस्पा।
दरअसल पंजीयन विभाग में पारदर्शिता लाने के लिए संपदा-2.0 सॉफ्टवेयर लागू किया गया है। इसमें स्टांप ड्यूटी चोरी व संपत्ति के विक्रय के फर्जीवाड़ा के रोकने के दावे किए गए हैं। नए सॉफ्टवेयर में सेवा प्रदाता को पूरी जिम्मेदारी दी गई है। रजिस्ट्री पेश होने के बाद उप पंजीयक के यहां से टोकन जनरेट होता है। नंबर आने पर क्रेता-विक्रेता के फोटो खिंचने के बाद रजिस्ट्री मोबाइल व ई मेल पर पहुंच जाती है, लेकिन सेवा प्रदाता हेंड पर पक्षकार की जेब काटी जा रही है। ग्वालियर ही नहीं प्रदेश के अन्य कार्यालयों की भी ऐसी ही स्थिति है।
मार्च 2028 तक दिए हैं लाइसेंस, एक ऑफिस में दो से तीन आइडी

सेवा प्रदाताओं के लाइसेंस रिन्युअल किए गए हैं। 31 मार्च 2028 तक ग्वालियर में 288 सेवा प्रदाताओं सहित प्रदेश में करीब सात हजार को लाइसेंस दिए गए हैं। एक ऑफिस में दो से तीन आइडी संचालित हो रही हैं।
– यदि गलत कार्य पर एक आइडी बंद हो जाए, दूसरी आइडी से काम जारी रख सकें। इससे काम प्रभावित न हो। पत्नी व बच्चों के नाम भी आइडी लिए हैं।

– उप पंजीयकों के लेनदेन की पूरी जिम्मेदारी सेवा प्रदाता ही संभाल रहे हैं। रजिस्ट्री के बाद शाम को पूरा हिसाब करते हैं। टेक्नोलॉजी का समय होने के चलते उप पंजीयकों ने अपना काम का तरीका बदल दिया।
-रिपोर्टर ने जानी दो ऑफिसों की सच्चाईसचिन कौरव : कौरव ई रजिस्ट्री, मेट्रो टॉवर रोड

सवाल: मुझे अनुपम नगर में फ्लैट की रजिस्ट्री करानी है। लेखन का खर्च कितना आएगा ?

– सचिन कौरव : 2500 रुपए लेखन का लगेगा, फार्म भरकर दे देंगे। कार्यालय के अंदर का आपको संभालना होगा। यदि अंदर हम जाएंगे तो 2500 रुपए अतिरिक्त लगेंगे। सेवा प्रदाता ने संपर्क के लिए अपना विजिटिंग कार्ड भी दिया।
– मयंक श्रीवास्तव: सेवा प्रदाता, शंख सिवायसवाल: अनुपम नगर में एक प्लॉट की रजिस्ट्री करानी है, लेखन का कितना खर्च आएगा।

जवाब: लेखन का तीन हजार रुपए लगेंगे। कार्यालय के अंदर कितना देना होगा, वह रजिस्ट्री देखने के बाद बताएंगे। पहले रजिस्ट्री लेकर आएं। मयंक श्रीवास्तव ने अपना विजिटिंग कार्ड भी दिया।
बोर्ड तैयार कराया

– हर कार्य की एक रेट तय की है। इसकी सूचना पक्षकारों को मिल सके, उसके लिए बोर्ड बनवाया है। इसे कार्यालय के बाहर लगाया जाएगा। ज्यादा पैसे मांगने की यदि पक्षकार शिकायत करते हैं तो सेवा प्रदाता के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
-अशोक शर्मा, जिला पंजीयक

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