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ग्वालियर

स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 : दो पायदान सुधार कर मिला 14वां स्थान, कचरे के पहाड़ नहीं होते तो टॉप टेन में आता ग्वालियर

गीला-सूख कचरा : सर्वे टीम को सोर्स सेग्रीगेशन यानी घरों से गीला-सूखा कचरा अलग-अलग लेने में में सिर्फ 65 प्रतिशत लेना पाया गया है

ग्वालियरJul 18, 2025 / 12:28 pm

monu sahu

nagar nigam gwalior

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2020 में मिली 13वीं रैंकिंग की तुलना में दूसरी सबसे बेस्ट रैंकिंग

ग्वालियर। स्वच्छता सर्वेक्षण 2024 में देश की 10 लाख की आबादी वाले शहरों की रैंकिंग में ग्वालियर को 14वां स्थान मिला है। यह रैंकिंग 2023 में मिली 16वीं रैंकिंग से दो पायदान अधिक है और 2020 में मिली 13वीं रैंकिंग की तुलना में दूसरी सबसे बेस्ट रैंकिंग है। यह भले ही शहर के विकास के लिए बड़ा अचीवमेंट है, लेकिन लैंडफिल साइट पर जमा साढ़े 11 लाख टन कचरे के ढेर (लीगेसी वेस्ट) का सही ढंग से निष्पादन नहीं होना, सोर्स सेग्रीगेशन (घरों से गीला-सूखा कचरा अलग-अलग लेने) और पब्लिक टायलेट (सार्वजनिक शौचालयों) के सफाई नहीं होने पर 1505 अंक काटे गए है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में 12500 अंकों की परीक्षा में शहर को 10955 अंक मिले हैं। यदि जिम्मेदार अफसर द्वारा लीगेसी वेस्ट,गीला-सूखा कचरा व सेग्रीगेशन पर ध्यान दिया जाता तो ग्वालियर को टॉप टेन जगह मिल सकती थी।
बीते कई सालों से लैंडफिल साइट पर पहाड़ जैसे कचरे के ढेर के चलते लगातार स्वच्छ सर्वेक्षण में ग्वालियर की रैंकिंग गिर रही है। हालांकि अभी भी शहर की जर्जर सडक़ें, गंदगी, कचरे के ढेर व पानी व सीवर की लाइन फूटने सहित तमाम बड़ी चुनौतियां से निपटना बड़ी चुनौती है। जबकि हर साल साफ शहर में साफ-सफाई के नाम पर 80 करोड़ से अधिक खर्च होता है।
बीते वर्षों में शहर की रैंकिंग
वर्ष स्थान अंक मिले
2020 13वीं 6000 1645
2021 15वीं 6000 4523
2022 18वीं 7500 5205
2023 16वीं 9500 7994
2024 14वीं 12500 10995

अब तक की थीम
वर्ष थीम
2020 संस्थागत स्वच्छता
2021 इंटीग्रेटेड एप्रोच
2022 पीपुल फस्ट
2023 वेस्ट टू वेल्थ
2024 रीड्यूज, रीयूज, रीसाइकिल
इनमें काटे गए है अंक
गीला-सूख कचरा : सर्वे टीम को सोर्स सेग्रीगेशन यानी घरों से गीला-सूखा कचरा अलग-अलग लेने में में सिर्फ 65 प्रतिशत लेना पाया गया है।
लैंडफिल लाइट : सर्वे टीम को कचरे के निस्तारण की प्रक्रिया भी सही नहीं मिली और लैंडफिल साइट पर कचरे के ढेर से सिर्फ 40 प्रतिशत ही अंक मिले।
पब्लिक टायलेट : सर्वे टीम को पब्लिक टायलेट (सार्वजनिक शौचालयों) साफ नहीं मिले। यह सर्विस लेवल प्रोग्रेस या मुख्य सर्वे के घटकों में शामिल होते है, इसके चलते 10 हजार में से 940 अंक इसी श्रेणी में काटे गए।
सर्वे में कहां मिले कितने अंक
सर्विस लेवल प्रोगेस (9060/10000)
स्वच्छ सर्वेक्षण में सर्विस लेवल प्रोग्रेस में ग्वालियर को 10000 अंक में से 9060 अंक मिले हैं। इसमें शहर को कचरा उठाना, सीवरेज के ढक्कन, जैविक खाद तैयार करने के कार्य थे।
बेहतर प्रबंधन से मिला वाटर प्लस (1200/1200)
बीते साल की तरह इस बार भी वाटर प्लस मिला। निगम को 1200 में से 1200 अंक मिले है। यह वाटर बॉडी बैजाताल, लक्ष्मण तलैया, कटोरा ताल,सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में सफाई, डेटिंग-पेटिंग प्रबंधन पर मिला।
फाइव का दावा, मिला थ्री स्टार (800/1300)
स्टार रेटिंग में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का बेहतर इंतजाम नहीं, कचरा कलेक्शन का प्रबंधन न, गीले-सूखे कचरे का निष्पादन, लैंडफिल साइट पर 24 घंटे खाद नहीं बनना, लीगेसी वेस्ट से निगम को तीसरे साल भी थ्री स्टार मिला। जबकि फाइव स्टार का दावा किया था। जीएफसी में 1300 में से सिर्फ 800 अंक ही मिले।
सबसे बेहतर प्रदर्शन : सिटीजन वॉइस, सर्विस लेवल, गार्बेज सिटी व वाटर प्लस।

सबसे खराब प्रदर्शन : केदारपुर लैंडफिल साइट पर लाखों टन कचरे का पहाड़ा,सही निष्पादन नहीं, गीला-सूखा कचरा अलग-अलग नहीं होना।
सिटी रिपोर्ट कार्ड में ग्वालियर की स्थिति
-डोर टू डोर कचरा कलेक्शन में 96 प्रतिशत अंक मिले, बीते साल 98 प्रतिशत थे।
-सोर्स सेग्रीगेशन में सिर्फ 65 प्रतिशत अंक मिले, बीते साल 98 प्रतिशत थे।
-वेस्ट जनरेशन एवं प्रोसेसिंग में 100 प्रतिशत रहे,जबकि बीते साल 71 प्रतिशत।
-क्लीननेस ऑफ रेसीडेंशन एरिया में 100 प्रतिशत, बीते साल 96 प्रतिशत थे।
-क्लीननेस ऑफ मार्केट एरिया में 100 प्रतिशत, बीते साल 92 प्रतिशत थे।
-क्लीननेस ऑफ वाटर बॉडीज में 100 प्रतिशत, बीते साल 80 प्रतिशत थे।
-क्लीननेस ऑफ पब्लिक टॉयलेट में 90 प्रतिशत, बीते साल 100 प्रतिशत थे।
-रेमिडिस्टिशन ऑफ डम्प साइड में 90 प्रतिशत अंक मिले, बीते साल 65 प्रतिशत थे।
सफाई पर 80 करोड़ खर्च
सफाई व्यवस्था से जुड़े अधिकारी-कर्मचारियों के वाहन व चालकों के वेतन पर 42 करोड़, सफाई कार्य में लगे वाहनों की मरम्मत पर 3 करोड़, डीजल पर 15 करोड़, ठेले-डस्टबिन पर एक करोड़,डॉक्यूमेंटेशन दो करोड़,पेटिंग व होर्डिंग पर 3 करोड़, लीगेसी वेस्ट पर 23 करोड़, रोड स्वीपिंग मशीनों पर 8 करोड़ सहित कुल 80 करोड़ खर्च किए जाते हैं।

यह सिर्फ पुरस्कार नहीं, बल्कि 17 लाख शहरवासियों के सामूहिक विश्वास, जागरूकता और समर्पण का प्रतीक है। आगे अब शहर की स्वच्छता को और बेहतर करेंगे और जो कमियां है उन्हें दूर करते हुए स्वच्छता के सर्वोच्च पायदान पर पहुंचेंगे।
डॉ शोभा सिकरवार, महापौर नगर निगम
ग्वालियर के लिए यह बहुत ही खुशी की बात है कि स्वच्छता रैंकिंग में हमने बीते वर्ष के मुकाबले दो पायदान की बढ़त बनाई। अब इस रैंक को सर्वोच्च स्थान तक लेकर जाएंगे, शहर में साफ सफाई,सडक़ सहित जो भी समस्याएं है उनका निराकरण करेंगे, स्वच्छता में जो कमियां रह गई थी उन्हें दूर करेंगे, गीला-सूख कचरा व लीगेसी वेस्ट व लैंडफिल कचरे के ढेर को हटाने में कसावट लाएंगे।
संघप्रिय आयुक्त नगर निगम

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