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ग्वालियर

49 साल पुराने जमीन विवाद के प्रकरण को भी मिली तारीख, तीसरी पीढी के वारिसान लड़ रहे केस

देर से मिले न्याय पर एक कहावत है, “देर से मिला न्याय, न्याय नहीं, अन्याय है”. इसका मतलब है कि यदि किसी को न्याय मिलने में बहुत देर हो जाती है, तो वह न्याय, न्याय नहीं रह जाता।

ग्वालियरJul 17, 2025 / 11:32 am

Balbir Rawat

gwalior high court

gwalior high court

देर से मिले न्याय पर एक कहावत है, “देर से मिला न्याय, न्याय नहीं, अन्याय है”. इसका मतलब है कि यदि किसी को न्याय मिलने में बहुत देर हो जाती है, तो वह न्याय, न्याय नहीं रह जाता। यह कहावत मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में 1976 (49 साल से) से लंबित संपत्ति विवाद सटीक बैठती है। इस केस को लडऩे वाले व्यक्तियों का निधन हो गया। केस की लड़ाई तीसरी पीढी़ तक आ गई है। नाती इस पूरे मामले को लड़ रहे हैं। हाईकोर्ट की रोस्टर व्यवस्था में हुए बदलाव की वजह से इसे तारीख मिली। हाईकोर्ट की एकल पीठ में बुधवार को सबसे पुराने केस में बहस शुरू हो गई।
दरअसल हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट 4 लाख 85 हजार 64 प्रकरण लंबित है। हजारों केस ऐसे हैं, जिनकी कर्ई सालों से सुनवाई नहीं हुई है। कोर्ट में पेडिंग है। हर पुराना केस सुनवाई में आ सके। डिफॉल्ट की वजह से केस पेडिंग न दिखे। उसके लिए रोस्टर में बदलाव किया है। हर केस को तारीख मिल सके। इस कारण पुराने केस सुनवाई में आना शुरू हो गए है। ग्वालियर खंडपीठ में 13 प्रकरण 25 साल से अधिक सालों से लंबित है। सर्विस मेटर व जमीन विवाद के प्रकरण लंबे समय से लंबित है। अब इनमें सुनवाई शुरू हो गई है। पुराने केस सुनवाई में आ सके, उसके लिए हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर पूरा प्लान भी बताया था।

1971 में संपत्ति विवाद आया था जिला कोर्ट में

– कादिरशाह के दो बेटे व एक बेटी थी। कादिरशाह के निधन के बाद भाई व बहन के बीच संपत्ति का विवाद शुरू हो गया। 1971 में जिला कोर्ट में वाद पेश किया। जिला कोर्ट ने 1973 में अपना फैसला सुनाया। जिला कोर्ट के फैसले के खिलाफ सैय्यद हबीबशाह ने प्रथम अपील 1976 में हाईकोर्ट में दायर की, लेकिन डिफॉल्ट के चलते 1989 में खारिज हो गई, लेकिन अपील को फिर से री स्टोर कराया गया। प्रथम अपील री स्टोर नहीं हुई। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
– वादी व प्रतिवादी के बीच हैदराबाद, शिवपुरी, ग्वालियर की संपत्ति को लेकर विवाद था। जिस पीढी़ में विवाद शुरू हुआ था, उस पीढी़ के सदस्यों का निधन हो गया। तीसरी पीढी़ में नाती केस लड़ रहे हैं।
– हाईकोर्ट ने 49 साल पुराना केस मानते हुए सुनवाई शुरू की है। इस केस में कई वकील भी बदल चुके हैं। केस के प्रतिवादी भोपाल, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में निवास कर रहे है।

ग्वालियर बैंच की पेडेंसी की स्थिति

वर्ष सिविल क्रिमिनल

0-10 36082 27871

11-25 15894 10085

25 वर्ष ऊपर 11 2

योग 51987 37958

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