सावधान : राजस्थान में विष वैज्ञानिक ने किया बड़ा खुलासा, मां के दूध में मिले खतरनाक रसायन
Rajasthan News: विष वैज्ञानिक डॉ. ममता शर्मा ने मां के दूध पर तीन साल तक शोध के बाद पाया कि खेतों में कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से मां का दूध तक विषैला हो रहा है।
अदरीस खान कीटनाशक सिर्फ जमीन को ही खराब नहीं कर रहे, बल्कि जीवों की सेहत भी बिगाड़ रहे हैं। प्रसूताओं से लेकर मवेशियों तक के दूध में 23 प्रकार के कीटनाशकों के तत्व पाए गए हैं। जांच में दूध का एक भी ऐसा सैंपल नहीं मिला, जो कीटनाशक मुक्त हो। विष वैज्ञानिक डॉ. ममता शर्मा के शोध में यह खुलासा हुआ है।
उन्होंने जयपुर के जनाना चिकित्सालय और महिला चिकित्सालय से 101 नव प्रसूताओं के दूध के सैंपल लिए थे। राजऋषि कॉलेज अलवर में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ममता ने हाल ही हनुमानगढ़ में राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के दौरान शोध के तथ्य साझा किए। मां के दूध पर तीन साल तक शोध के बाद पाया कि खेतों में कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से मां का दूध तक विषैला हो रहा है।
डॉ. ममता शर्मा ने बताया कि हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर में दोहरा संकट है। पंजाब से नहरों से रसायनयुक्त पानी आ रहा है। उससे सिंचित खेतों में फिर से कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है। नव प्रसूताओं के दूध के सैंपल में ऑर्गेनोक्लोरीन के सिंथेटिक रसायन मिले। इनमें डीडीटी, एंड्रिन, एंडोसल्फान, क्लोरडेन, हेप्टाक्लोर, मेथॉक्सीक्लोर, डाइएलड्रिन, एल्ड्रिन आदि शामिल हैं। अलवर में मवेशियों के दूध और डिब्बाबंद दूध में कीटनाशकों की मात्रा खतरनाक स्तर तक मिली।
प्रजनन संबंधी विकारों का कारण
* 70 प्रतिशत सैंपल में दो से ज्यादा कीटनाशक पाए गए। डीडीटी सभी नमूनों में पाया गया। कई नमूनों में दो-तीन कीटनाशक मिले।
* ऑर्गेनोक्लोरीन कीटनाशक जमीन को बंजर बनाने के साथ जीवों में प्रजनन संबंधी विकार पैदा कर रहे हैं। ये कैंसर और तंत्रिका संबंधी समस्याओं का कारण बनते हैं। कई शोध में पाया गया कि गांव के अधिकतर लोग कीटनाशकों के कारण ही कम उम्र में डॉयबिटीज के शिकार हो रहे हैं। बच्चे कुपोषण की चपेट में आ रहे हैं।
ऐसे करें समाधान
* खेती में विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार निर्धारित मात्रा में कीटनाशकों का प्रयोग किया जाए।
* बायो पेस्टीसाइड्स को बढ़ावा दिया जाए।
* बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च को बढ़ावा देते हुए ऐसी फसलें विकसित हों, जिन पर कीटों का हमला न हो।
* कीटनाशक लक्ष्य आधारित हों। वे केवल कीटों और रोगों पर हमला करें, ताकि अन्य जीवों को कम से कम नुकसान हो।
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दूध से नवजात तक ऐसे पहुंचे कीटनाशक
शोध में पाया गया कि गर्भावस्था के दौरान महिलाएं भोजन में फल और हरी सब्जियों के अलावा दूध-दही का इस्तेमाल ज्यादा करती हैं। फल और सब्जियों के पेस्टिसाइड सीधे शरीर में पहुंचते हैं। वहीं मवेशी भी हरा चारा खाते हैं। इसलिए उनके दूध में भी कीटनाशक पहुंच जाता है। जब इस दूध और दही का उपयोग महिलाएं करती हैं तो कीटनाशक उनके शरीर में पहुंचता है। उनके दूध के जरिए नवजात के पेट तक पहुंचता है।