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Women’s Health : पेरिमेनोपॉज़ और मेनोपॉज़ की चुनौतियां और समाधान मुद्रा थेरेपी के साथ

Mudra Therapy for Women’s Health : 40 की उम्र के बाद हर महिला जीवन के एक बड़े बदलाव से गुज़रती है – परिमेनोपॉज़ और फिर मेनोपॉज़. यह मासिक धर्म के धीरे-धीरे बंद होने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है.

भारतMay 30, 2025 / 11:37 am

Manoj Kumar

Mudra Therapy for Women's Health

Mudra Therapy for Women’s Health : परिमेनोपॉज़ और मेनोपॉज़ की चुनौतियां और समाधान मुद्रा थेरेपी के साथ (फोटो सोर्स : Freepik/Patrika team)

Women’s Health : 40 की उम्र के बाद हर महिला जीवन के एक महत्वपूर्ण परिवर्तन सेगुजरती है —पेरिमेनोपॉज़ (Perimenopause) और फिर मेनोपॉज़(Menopause)। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें मासिक धर्म धीरे-धीरे बंद हो जाता है। हालांकि, यह बदलाव सिर्फ शारीरिक नहींहोता, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी गहरा प्रभाव डालता है।

पेरिमेनोपॉज़ और मेनोपॉज़ के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं: (Common symptoms of perimenopause and menopause include)

  •  अनियमित पीरियड्स
  •  गर्मी लगना (Hot flashes)
  •  रात में पसीना आना
  •  मूड स्विंग्स
  •  नींद में परेशानी
  •  जोड़ों में दर्द
  •  एकाग्रता की कमी
  •  थकावट और चिड़चिड़ापन
इन लक्षणों से जूझती महिलाएं अक्सर हार्मोनल थेरेपी या दवाओं की ओरबढ़ती हैं, लेकिन भारतीय परंपरा में एक सहज, सुरक्षित और प्रभावशालीसमाधान है — मुद्रा थेरेपी।

Mudra Therapy : ऊर्जा संतुलन का विज्ञान

मुद्रा थेरेपी योग की एक शाखा है, जिसमें उंगलियों के विशेष संयोजन सेशरीर में ऊर्जा का प्रवाह संतुलित किया जाता है। यह विधि शरीर केपंचतत्वों (जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी, आकाश) को संतुलित करती है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।

महिलाओं के इस जीवन-चरण में सहायक तीन प्रमुख मुद्राएँ:

योनि मुद्रा (Yoni Mudra):

यह मुद्रा महिलाओं के प्रजनन अंगों और हार्मोनल प्रणाली को संतुलितकरती है। यह मानसिक शांति और भीतर की स्थिरता देने में अत्यंतलाभकारी है।
कैसे करें: दोनों हाथों की मध्यमा, अनामिका और छोटी उंगलियों कोएक-दूसरे में इंटरलॉक करें। दोनों अंगूठों के सिरों को आपस में मिलाएं, जो ऊपर की ओर इंगित हों। तर्जनी उंगलियों के सिरों को आपस में नीचेकी ओर स्पर्श कराएँ।
समय: रोज़ 10-15 मिनट, ध्यान या प्राणायाम के साथ।
ज्ञान मुद्रा (Gyan Mudra):

मस्तिष्क को शांत करती है, तनाव कम करती है और नींद में सुधार करतीहै।
कैसे करें: तर्जनी और अंगूठे के सिरे को मिलाएँ, बाकी उंगलियाँ सीधीरखें।मुद्रा दोनों हाथों से करें
समय: सुबह या रात को 15-20 मिनट।
प्राण मुद्रा (Prana Mudra):

शारीरिक ऊर्जा बढ़ाती है, थकावट और कमजोरी को दूर करती है। इम्यूनसिस्टम को भी मज़बूत करती है।
कैसे करें: अनामिका और छोटी उंगली को अंगूठे के सिरे से मिलाएँ, बाकीदो उंगलियाँ सीधी रहें।
समय: दिन में दो बार, 15-20 मिनट।

क्यों अपनाएं Mudra Therapy?

  • यह पूरी तरह प्राकृतिक है।
  • कहीं भी, कभी भी की जा सकती है।
  • किसी दवा या उपकरण की आवश्यकता नहीं।
  • धीरे-धीरे शरीर में हार्मोनल संतुलन स्थापित करती है।
  • मानसिक शांति, अच्छी नींद और ऊर्जा देती है।

मुद्रा थेरेपी करते समय ध्यान रखें:

Do’s (क्या करें):
खाली पेट या हल्के भोजन के बाद करें – सुबह का समय सबसेउपयुक्त होता है।
नियमित अभ्यास करें – प्रतिदिन 15-20 मिनट की मुद्रा साधना सेस्थायी लाभ मिलते हैं।
सीधी रीढ़ के साथ बैठें – यदि संभव हो तो पद्मासन या सुखासन मेंबैठें।
मुद्राओं को किसी भी समय किया जा सकता है – जैसे कि चलतेसमय, टीवी देखते हुए, संगीत सुनते हुए या यात्रा के दौरान। इन्हें अपनेदैनिक जीवन में सहजता से शामिल किया जा सकता है।
Don’ts (क्या न करें):

भोजन के तुरंत बाद मुद्रा न करें – भोजन के बाद कम से कम आधाघंटे का अंतर रखें।
जबर्दस्ती उंगलियाँ मोड़ने की कोशिश न करें – यदि कोई उंगलीआराम से मुड़ नहीं रही है, तो हल्के से करें।
अत्यधिक थकावट या तनाव की स्थिति में तुरंत लंबा अभ्यास न करें– पहले शरीर और मन को शांत करें।
हर बीमारी में हर मुद्रा न करें – सही मुद्रा का चयन किसी जानकार सेसलाह लेकर करें।
 
मेनोपॉज़ कोई रोग नहीं, बल्कि जीवन का एक सुंदर मोड़ है। इस परिवर्तनको स्वीकार करते हुए यदि आप दिन में कुछ मिनट मुद्राओं के अभ्यास मेंलगाएँ, तो आप न केवल लक्षणों से राहत पाएंगी, बल्कि भीतर से सशक्तऔर स्थिर महसूस करेंगी।

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