पेरिमेनोपॉज़ और मेनोपॉज़ के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं: (Common symptoms of perimenopause and menopause include)
- अनियमित पीरियड्स
- गर्मी लगना (Hot flashes)
- रात में पसीना आना
- मूड स्विंग्स
- नींद में परेशानी
- जोड़ों में दर्द
- एकाग्रता की कमी
- थकावट और चिड़चिड़ापन
Mudra Therapy : ऊर्जा संतुलन का विज्ञान
मुद्रा थेरेपी योग की एक शाखा है, जिसमें उंगलियों के विशेष संयोजन सेशरीर में ऊर्जा का प्रवाह संतुलित किया जाता है। यह विधि शरीर केपंचतत्वों (जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी, आकाश) को संतुलित करती है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।महिलाओं के इस जीवन-चरण में सहायक तीन प्रमुख मुद्राएँ:
योनि मुद्रा (Yoni Mudra): यह मुद्रा महिलाओं के प्रजनन अंगों और हार्मोनल प्रणाली को संतुलितकरती है। यह मानसिक शांति और भीतर की स्थिरता देने में अत्यंतलाभकारी है।कैसे करें: दोनों हाथों की मध्यमा, अनामिका और छोटी उंगलियों कोएक-दूसरे में इंटरलॉक करें। दोनों अंगूठों के सिरों को आपस में मिलाएं, जो ऊपर की ओर इंगित हों। तर्जनी उंगलियों के सिरों को आपस में नीचेकी ओर स्पर्श कराएँ।
समय: रोज़ 10-15 मिनट, ध्यान या प्राणायाम के साथ।
कैसे करें: तर्जनी और अंगूठे के सिरे को मिलाएँ, बाकी उंगलियाँ सीधीरखें।मुद्रा दोनों हाथों से करें
समय: सुबह या रात को 15-20 मिनट।
कैसे करें: अनामिका और छोटी उंगली को अंगूठे के सिरे से मिलाएँ, बाकीदो उंगलियाँ सीधी रहें।
समय: दिन में दो बार, 15-20 मिनट।
क्यों अपनाएं Mudra Therapy?
- यह पूरी तरह प्राकृतिक है।
- कहीं भी, कभी भी की जा सकती है।
- किसी दवा या उपकरण की आवश्यकता नहीं।
- धीरे-धीरे शरीर में हार्मोनल संतुलन स्थापित करती है।
- मानसिक शांति, अच्छी नींद और ऊर्जा देती है।
मुद्रा थेरेपी करते समय ध्यान रखें:
Do’s (क्या करें):खाली पेट या हल्के भोजन के बाद करें – सुबह का समय सबसेउपयुक्त होता है।
नियमित अभ्यास करें – प्रतिदिन 15-20 मिनट की मुद्रा साधना सेस्थायी लाभ मिलते हैं।
सीधी रीढ़ के साथ बैठें – यदि संभव हो तो पद्मासन या सुखासन मेंबैठें।
मुद्राओं को किसी भी समय किया जा सकता है – जैसे कि चलतेसमय, टीवी देखते हुए, संगीत सुनते हुए या यात्रा के दौरान। इन्हें अपनेदैनिक जीवन में सहजता से शामिल किया जा सकता है।
जबर्दस्ती उंगलियाँ मोड़ने की कोशिश न करें – यदि कोई उंगलीआराम से मुड़ नहीं रही है, तो हल्के से करें।
अत्यधिक थकावट या तनाव की स्थिति में तुरंत लंबा अभ्यास न करें– पहले शरीर और मन को शांत करें।
हर बीमारी में हर मुद्रा न करें – सही मुद्रा का चयन किसी जानकार सेसलाह लेकर करें।