प्लास्टिक से बढ़ सकता है कैंसर का खतरा
प्लास्टिक के उपयोग से कुछ गंभीर बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, जिनमें अस्थमा और पल्मोनरी कैंसर प्रमुख हैं। प्लास्टिक में मौजूद हानिकारक रसायन सांस संबंधी परेशानियों को जन्म देते हैं, जिससे व्यक्ति अस्थमा से पीड़ित हो सकता है। इसके अलावा, जब प्लास्टिक को जलाया जाता है, तो यह जहरीली गैस छोड़ता है, जो सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है और पल्मोनरी कैंसर का खतरा बढ़ा सकती है। ऐसे में प्लास्टिक से दूरी बनाना सेहत के लिए बेहद जरूरी हो गया है।प्लास्टिक के इस्तेमाल से आ सकते हैं इन बीमारियों की चपेट में
Geneva Environment Network के अनुसार शोध से यह भी पता चला है कि माइक्रोप्लास्टिक्स हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं और रोगजनकों के हमारे शरीर में प्रवेश करने का माध्यम बनते हैं, जिससे बीमारियों का फैलाव बढ़ जाता है।लीवर और किडनी पर प्रभाव
प्लास्टिक से निकलने वाले रसायन लीवर और किडनी की कार्यप्रणाली को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे इन अंगों की कार्यक्षमता कम होने लगती है।डायबिटीज और हार्मोन असंतुलन
प्लास्टिक में पाए जाने वाले विषैले तत्व शरीर के हार्मोन संतुलन को बिगाड़ सकते हैं, जिससे डायबिटीज और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।कमजोर इम्यूनिटी
प्लास्टिक की बोतल में लंबे समय तक रखा पानी पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कमजोर हो सकती है, जिससे बार-बार बीमार पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।प्लास्टिक का कम उपयोग करने के तरीके
-प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग कम करें: पानी पीने के लिए स्टील या ग्लास की बोतलें उपयोग करें।-पॉलीथिन का उपयोग बंद करें: पॉलीथिन के बजाय कपड़े या जूट के बैग का उपयोग करें।
-प्लास्टिक के पैकेजिंग से बचें: प्लास्टिक के पैकेजिंग वाले उत्पादों से बचें और उनके बजाय कांच या स्टील के पैकेजिंग वाले -उत्पादों का चयन करें।
-रीसाइकल करें: प्लास्टिक को रीसाइकल करने के लिए उचित तरीके अपनाएं।