Spine Problem: हर 10 में एक युवा स्पाइन सर्जरी का मरीज, मोबाइल-लैपटॉप… है कारण, जानिए बचाव
Spine Problem Cause and Precaution: सवाई मानसिंह अस्पताल (SMS) की न्यूरो सर्जरी यूनिट में रोजाना स्पाइन प्रोब्लम को लेकर मामले बढ़ रहे हैं। डॉक्टर ने युवाओं को सावधान भी किया है। जानिए स्पाइन प्रोब्लम के कारण व बचाव।
Spine Problem in Youth: फोटो प्रतीकात्म, डिजाइन पत्रिका
Spine Problem Cause and Precaution: जो समस्याएं 45-50 वर्ष की उम्र में आती थीं, अब 25-30 वर्ष के युवाओं में देखने को मिल रही है। एसएमएस अस्पताल, जयपुर में में रीढ़ की बीमारियों के केस बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों ने कहा है कि अब भी नहीं जागे तो भविष्य में भारी कीमत चुकानी होगी। सवाई मानसिंह अस्पताल में हर 10 में एक स्पाइन सर्जरी का मरीज युवा है। इसके लिए आज की आदतें जिम्मेदार हैं। जैसे- मोबाइल और लैपटॉप के अत्यधिक इस्तेमाल से युवा तेजी से रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इसके अलावा भी लाइफस्टाइल से जुड़ी कुछ आदते हैं।
5-10 वर्षों में रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारियों में वृद्धि
सवाई मानसिंह अस्पताल की न्यूरो सर्जरी यूनिट में रोजाना ऐसे केस सामने आ रहे हैं। कुछ मरीज गंभीर हालत में पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले 5 से 10 वर्षों में रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारियों के मामलों में वृद्धि हुई है। इनमें सर्वाइकल डिस्क, स्लिप डिस्क और स्पॉन्डिलाइटिस प्रमुख हैं। कुछ युवा लकवाग्रस्त होकर भी अस्पताल पहुंच रहे हैं।
स्पाइन प्रॉब्लम को लेकर गूगल पर भी हो रहे ये सर्च-
स्पाइन प्रॉब्लम में क्या-क्या होता है?
स्पाइनल डैमेज होने का क्या कारण है?
स्पाइनल कौन सी बीमारी होती है?
मुझे रीढ़ की समस्या क्यों है?
इसमें हम उपरोक्त सवालों के जवाब नीचे जानेंगे। आखिरकार युवाओं में स्पाइन की समस्या क्यों बढ़ रही है। इससे बचाव के लिए क्या करना चाहिए?
स्पाइनल डैमेज होने का क्या कारण है?
लंबे समय तक मोबाइल-लैपटॉप यूज करना
लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठे रहना
गर्दन टेढ़ी कर या झुकाकर स्क्रीन देखना
चलने-फिरने की कमी
लंबे समय तक कुर्सी पर बैठे रहना
बॉडी अलार्म इग्नोर न करें
गलत आदतें रीढ़ की प्राकृतिक संरचना को नुकसान पहुंचा रही हैं। इससे रीढ़ पर दबाव बढ़ने से डिस्क में घिसाव और नसों पर दबाव जैसी समस्याएं पैदा हो रही हैं। अगर आपको कमर या गर्दन में बार-बार दर्द, हाथ-पैर में झनझनाहट, उठने-बैठने में परेशानी जैसे संकेतों को नजरअंदाज नहीं करें।
स्पाइन प्रॉब्लम से कैसे करें बचाव
एसएमएस अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. अचल शर्मा ने बताया, लंबे समय तक झुककर मोबाइल देखने की आदत छोड़ें। दिनभर एक ही मुद्रा में बैठकर काम करना, हर 20-25 मिनट में उठकर टहलें लगातार गर्दन झुकाकर मोबाइल बैठने के दौरान पोस्चर बदलते रहें, नियमित रूप से वॉक और स्ट्रेचिंग करें, मोबाइल पर लंबे समय तक सीरीज देखना बंद करें, लैपटॉप को आंख की सीध पर रखें गर्दन सीधी रखें, तकिया बहुत ऊंचा न हो लंबे समय तक कुर्सी पर बैठने से बचें। इस तरह से ऐसी समस्या से बचा जा सकता है।
डॉ. अचल शर्मा, वरिष्ठ न्यूरोसर्जन, एसएमएस अस्पताल ने ये भी कहा कि कई मामलों में फिजियोथैरेपी या दवा से राहत मिल जाती है, लेकिन कुछ मरीजों को ऑपरेशन तक कराना पड़ रहा है। यह एक धीमी क्षति है, जिसका असर तुरंत नहीं दिखता, पर लक्षणों की अनदेखी गंभीर परिणाम दे सकती है।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।
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