नए मामलों में ज्यादातर स्कूली छात्र
एनसीसीडी के अनुसार, हाल ही सामने आए नए मामलों में अधिकतर स्कूली छात्र है, जिन्हें खसरे के टीके की केवल एक खुराक मिली है। बढ़ते मामलों के कारण एनसीसीडी ने परिजनों से अपील की है कि वह बच्चों को इस भंयकर बीमारी से बचाने के लिए खसरे के टीकें की दोनों खुराक दिलवाएं।
क्या है खसरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, खसरा संक्रामक एक वायरल बीमारी है, जो खांसने और छींकने के साथ साथ सांस लेने से भी फैलती है। यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि इससे व्यक्ति की जान भी जा सकती है।
मुख्य रूप से बच्चों को करता है प्रभावित
यह बीमारी मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करती है। लेकिन इसके साथ साथ ऐसा व्यक्ति जिसने वैक्सीन न ली हो और जिसका इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो, वह इस बीमारी की चपेट में आ सकता है। तेज बुखार, खांसी, नाक बहना और पूरे शरीर पर चकत्ते बन जाता इस बीमारी के कुछ लक्षण है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, केवल वैक्सीनेशन इससे बचाव और इसे फैलने से रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है। यह सुरक्षित होने के साथ साथ वायरस से लड़ने में भी मददगार है।
साल 1963 से पहले हर 2-3 साल में आती थी महामारी
खसरे के टीके का विकास साल 1963 में किया गया है। इससे पहले हर 2 से 3 साल में यह महामारी की तरह बड़े पैमाने पर फैल जाता था। इसके चलते हर साल लगभग 26 लाख लोगों की जान चली जाती थी। वर्तमान की बात करें तो, साल 2023 में सुरक्षित और किफायती वैक्सीन की उपलब्धता के बावजूद, खसरे के कारण लगभग 1,07,500 लोगों की मृत्यु हुई थी। इनमें से ज्यादातर पांच साल से कम उम्र के बच्चे थे।
बच्चों और गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन लगाने की सलाह
मंगोलिया में खसरे के मामले सबसे ज्यादा उन क्षेत्रों में देखने को मिलते है जहां मजबूत स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। एनसीसीडी ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है जिन बच्चों और गर्भवती महिलाओं ने इससे सुरक्षा के लिए वैक्सीन नहीं लगवाई है, वह इससे सबसे अधिक असुरक्षित है। विशेषज्ञों ने सभी को वैक्सीन लगाने और सरकार से टीकाकरण वैक्सीनेशन का प्रचार तेज करने की अपील की है।