मान्यता है कि शीतला माता रोगों से मुक्ति देने वाली देवी हैं। वे विशेषकर चेचक, खसरा और अन्य संक्रामक रोगों से रक्षा करती हैं। इसलिए लोग इस दिन ठंडे और एक दिन पहले बनाए पकवान खाकर माता से रोगमुक्त रहने का आशीर्वाद लेते हैं।
शीतला सप्तमी के मौके पर शुक्रवार को शहर के कंचगार गली स्थित शीतला माता मंदिर में बड़ी संख्या में महिलाएं सुबह से दर्शन और पूजन के लिए पहुंचीं। मंदिर में तड़के से ही महिलाओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। ऐसी मान्यता है कि शीतला सप्तमी के दिन सुख-शांति और मनोकामना पूर्ण होने की कामना के लिए घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता। ठंडे भोजन का पहले शीतला माता को भोग लगाया जाता है, फिर लोग पूर्व में बनाया भोजन ग्रहण करते हैं।
शहर के अन्य माता मंदिरों में भी सुबह से ही लंबी-लंबी कतारों में लगकर महिलाओं ने माता का पूजन किया। सनातन धर्म में माता शीतला को सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर शुक्रवार को शीतला सप्तमी का पर्व मनाया गया। महिलाएं सुख सौभाग्य और अरोग्यता की कामना से शीतला माता का पूजन करने पहुंची।