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हुबली

श्रद्धा और भक्ति से मनाई संत पीपा महाराज की 702 वीं जयंती, प्रेम, भाईचारे और एकजुटता के साथ आगे बढऩे का संकल्प

संत शिरोमणि पीपा महाराज का 702 वां जयंती महोत्सव शनिवार को श्रद्धा, भक्ति एवं उत्साह के साथ मनाया गया। समस्त श्री पीपा क्षत्रीय (दर्जी) समाज उत्तर कर्नाटक हुब्बल्ली के तत्वावधान में इस दिन विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। कार्यक्रम के प्रमुख सहयोगी ललितकुमार, महेन्द्र कुमार दैय्या परिवार धुंधाड़ा थे।

हुबलीApr 12, 2025 / 06:20 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

पीपा जयंती के अवसर पर हुब्बल्ली में विधायक महेश टेंगिनकाई का सम्मान करते समाज के लोग।

पीपा जयंती के अवसर पर हुब्बल्ली में विधायक महेश टेंगिनकाई का सम्मान करते समाज के लोग।

सत्यनारायण भगवान की कथा
महोत्सव के तहत शनिवार को सुबह हुब्बल्ली (कर्नाटक) के सीबीटी किला हनुमान मंदिर के पास स्थित श्री पीपा क्षत्रीय (दर्जी) समाज भवन में सत्यनारायण भगवान की कथा हुई। दोपहर में वालवेकर गली स्थित अग्रसेन भवन में महाप्रसादी रखी गई। महोत्सव के एक दिन पहले शुक्रवार को श्री पीपा क्षत्रीय समाज भवन में सत्संग का आयोजन किया गया। जिसमें स्थानीय भजन गायकों ने एक से बढ़कर एक भजन प्रस्तुत किए।
बारह वर्ष पहले हुई जयंती मनाने की शुरुआत
महोत्सव को लेकर समस्त श्री पीपा क्षत्रीय (दर्जी) समाज उत्तर कर्नाटक हुब्बल्ली के पदाधिकारी एवं सदस्यों ने व्यवस्थाओं में सहयोग किया। पीपा क्षत्रिय दर्जी समाज ट्रस्ट उत्तर कर्नाटक की मेजबानी में पिछले 12 वर्ष से पीपा जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। प्रति वर्ष पीपा जयंती के अवसर पर सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन किया जाता है। पीपा जयंती समारोह में विभिन्न प्रवासी समाज के गणमान्य लोग भी शामिल हुए। समाज के लोगों ने बताया कि ललित कुमार दैय्या धुंधाड़ा ने सबसे पहले हुब्बल्ली में पीपा जयंती महोत्सव मनाने की शुरुआत की। उन्होंने अपने घर पर ही जयंती मनाकर इसकी शुरुआत की। उसके बाद से लगातार जयंती महोत्सव धूमधाम से मना रहे हैं।
गढ़ गागरोन में संत पीपा महाराज का हुआ जन्म
संत पीपाजी का जन्म स्थान वर्ष 1323 (विक्रम संवत 1380) में राजस्थान के झालावाड़ जिले के गढ़ गागरोन में हुआ। वे उस समय गागरोन राज्य के शासक रहे। शासक रहते उन्होंने दिल्ली सल्तनत के सुल्तान फिरोज तुगलक से संघर्ष करके विजय प्राप्त की लेकिन युद्ध में रक्तपात देख उन्होंने सन्यासी होने का निर्णय लिया। राजगद्दी त्याग करने के बाद संत पीपा रामानन्द के शिष्य बने। रामानन्द के 12 शिष्यों में संत पीपा एक थे।
धार्मिक-सामाजिक सेवा कार्य में अग्रणी समाज के लोग
समाज की ओर से कई धार्मिक-सामाजिक कार्य किए जा रहे हैं। समाज की मेजबानी में साधु-संतों एवं राजस्थान से आने वाले जनप्रतिनिधियों का भी स्वागत-सत्कार किया जाता है। समाज के लोग होली का त्योहार उत्साह एवं उमंग के साथ मना रहे हैं। एक-दूसरे के घर पर जाकर होली की शुभकामनाएं दी जाती हैं। समाज की ओर से ढूंढोत्सव का आयोजन भी किया जाता है। दीपावली स्नेह मिलन भी पिछले छह साल से हो रहा है। समाज की ओर से जरूरतमन्द विद्यार्थियों को स्टेशनरी का वितरण भी किया जाता है।
महिलाओं की रहती हैं सक्रिय भागीदारी
अमावस्या एवं अन्य अवसरों पर गौशाला में गायों की सेवा भी की जाती है। समाज की ओर से क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाता है। समाज का महिला मंडल भी सक्रिय है। खासकर पूर्णिमा एवं एकादशी के दिन भजन-कीर्तन का आयोजन रखा जाता है। महिलाएं खुद ही वाद्य यंत्र बजाते हुए भजनों की प्रस्तुति देती हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में महिलाओं की ओर से डांडिया का आयोजन पिछले तीन वर्ष से किया जा रहा है।
समाज के अधिकांश लोग मारवाड़ क्षेत्र से
समाज के अधिकांश लोग जालोर, बालोतरा, जोधपुर, पाली, फलोदी, बाड़मेर एवं नागौर जिलों से हैं। समाज के लोग यहां इलेक्ट्रिकल्स, हार्डवेयर, स्टेशनरी, प्लास्टिक, टेलरिंंग मेटेरियल, पम्पसेट समेत अन्य व्यवसाय में हैं। अकेले हुब्बल्ली में समाज के करीब 25 प्रतिष्ठान है। समाज के कई लोग कारपेंटर का कार्य भी कर रहे हैं। पीपा क्षत्रिय दर्जी समाज उत्तर कर्नाटक में हुब्बल्ली के साथ ही धारवाड़, कारवार, बागलकोट, हावेरी, दावणगेरे, होसपेट, बल्लारी, गदग, बेलगावी, शिवमोग्गा, विजयपुर, मेंगलूरु, कलबुर्गी समेत अन्य उत्तर कर्नाटक इलाकों से समाज के लोग जुड़े हुए हैं।

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