राष्ट्र संत: नई पीढ़ी धर्म के विवादों को देख धर्म से दूर हो गई। धर्म को आध्यात्म से प्रस्तुत करना होगा। विज्ञान से जोडऩा होगा तभी सत्य से परिपूर्ण एवं निर्विवाद होगा। विज्ञान की बात हर पंथ, धर्म मानेगा। ऐसे ग्रन्थ तैयार हो जिसमें आध्यात्मिकता के सिद्धांतों की पुष्टि हो। यह संपूर्ण मानवता के लिए उपयोगी होगा। पर्यावरण, आर्थिकता एवं स्वास्थ्य, इन तीनों को धर्म का केन्द्र बिन्दु बनाना होगा।
राष्ट्र संत: समाज में सम्मान नहीं मिलने, पूजा स्थलों पर नहींं जाने देने, छूआछूत, आत्म सम्मान को ठेस पहुंचने के कारण लोग धर्म परिवर्तन कर रहे हैं। धर्म के नाम पर दिखावा हो रहा है। दबंगों ने जुल्म ढाया है। यही दिखावा आने वाले समय में हमारे लिए आत्मघाती परिणाम साबित होगा। नमकहरामी की धर्म के हरामखोर है।
राष्ट्र संत: लड़कियों की कमी आ रही है। गर्भपात हो रहे हैं। मां की कोख में कत्ल हो रहे हैं। समाज में अच्छे-बुरे दोनों तरह के लोग है। अच्छे लोग बिखरे हुए हैं। दूसरी तरफ बुरे लोग मुट्ठी भर हैं लेकिन वे संगठित व सक्रिय है। यदि अच्छे लोग संगठित नहीं हुए तो समाज खतरे में पड़ जाएगा। बुरे लोगों से सज्जन लोग अधिक दोषी है। वे मौन रहकर उनका हौसला बुलंद कर रहे हैं। जितने भी शाकाहारी परिवार हैं उसमें आपस में यदि रिश्ते होते हैं तो कोई बुराई नहीं है। यह समाज को निर्णय लेना चाहिए। समाज को इस पर चिंतन करना चाहिए।
राष्ट्र संत: अच्छे लोगों को एक मंच पर लाना है। पर्यावरण की तरफ कदम बढ़े। नशामुक्त समाज हो। देशभक्त समाज बने। युवा पीढ़ी धर्म को बोझ नहीं बल्कि उसे खुशी के रूप में लें। धार्मिक उपासना पद्धति पर्यावरण की रक्षा को ध्यान में रखते हुए निर्णय करना चाहिए। धर्म की ओट में प्रकृति का नाश हो रहा है। बुराइयों को उचित ठहराते हुए धर्म के प्रति खिलवाड़ बन्द होना चाहिए।
राष्ट्र संत: मार्बल की गाय की मूर्ति पर करोड़ों खर्च कर देते हैं। पशुधन को बचाना जरूरी है। हर मंदिर परिसर में एक गौशाला भी हो। गोचर की जमीन पर भूमाफियाओं का कब्जा है। गाय के मुंह से निवाला छीना जा रहा है। पॉलीथिन खाने से गायें मर रहीं है। पॉलीथिन को सड़क पर फेंका जा रहा है। पॉलीथिन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है जबकि होना यह चाहिए कि इसके उत्पादन पर भी प्रतिबंध लगें। जिस तरह से कुछ राज्यों में वन आवरण बने हैं उसी तर्ज पर गो आवरण का निर्माण हो। दूध में मिलावट हो रही है। दूध की जगह जहर पी रहे हैं। इसके चलते कैंसर समेत अन्य तरह की बीमारियां बढ़ रही हैं।
राष्ट्र संत: पांच सूत्रीय गो-पालन कार्यक्रम तैयार किया गया है। हर मंदिर के पास गौशाला का निर्माण भी किया जाएं। गौ शोध संस्थान बनें। पंचगव्य से दवाइयां तैयार हो सकेंगी। गाय को राजमाता का दर्जा दिया जाएं। मांस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया जाएं। आवारा एवं लावारिश की जगह निराश्रित शब्द का उपयोग करें।
राष्ट्र संत: जगह-जगह वृद्धाश्रम के खुलने का कारण संस्कारों की कमी है। देश में सभी धर्मों के पचास लाख संत है। देश में सात लाख से अधिक गांव है। यदि सभी संत इन गावों में शिक्षा, चिकित्सा एवं मानव सेवा का बीड़ा उठा लें तो पांच साल के भीतर ही देश में राम राज्य की स्थापना हो जाएगी।म
राष्ट्र संत: नशा देश को खोखला बना रहा है। 60 फीसदी अपराधों की वजह नशा है। नशा आतंकवाद से भी अधिक खतरनाक है। मोबाइल के भी दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं। जबकि विदेशी आध्यात्म की तरफ बढ़ रहे हैं।
राष्ट्र संत: परिवार में संस्कारों का बीजारोपण नहीं किया गया। पहले गुरुकुल पद्धति थी। महापुरुषों के बारे में पढ़ाया जाता था। अब शिक्षा के साथ संस्कारों की कमी है।
राष्ट्र संत : पाश्चात्य संस्कृति तो आतंकवाद से भी खतरनाक है। पाश्चात्य संस्कृति भोग, रोग, तनाव, अशांति एवं उन्माद देगी। हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं है। विश्व का कोई धर्म हिंसा की इजाजत नहीं देता। वर्ष 1991 में सभी धर्मों की सर्व धर्म संसद बनाई गई थी। तब पांच सूत्री आचार संहिता बनाई। इसमें नैतिकता, व्यसन मुक्त, देश भक्ति, पर्यावरण प्रेमी एवं विश्व शांति में विश्वास की बात कही गई थी। बिना नैतिकता के आध्यात्मिकता का प्रवेश होता ही नहीं है। आचार संहिता के प्रभावों को सरकारों ने स्वीकार किया।