श्री अखिल भारतीय श्री राजेन्द्र जैन महिला परिषद की सदस्य पिंकी जैन भीनमाल ने कहा, बेजुबान पक्षियों की सेवा करने से जो खुशी व संतुष्टि मिलती हैं उसे हम शब्दों में बयां नहीं कर सकते। यह हमें आत्मसंतुष्टि प्रदान करता है। ऐसे कार्य में हम सदैव आगे रहें। भावना गांधीमूथा सायला ने कहा, पशु-पक्षी बात नहीं कर सकते। ऐसे में हमें उनकी भावनाओं को समझना चाहिए। हमें उनके दुख-दर्द में सहभागी बनते हुए उनकी सेवा के लिए आगे आना चाहिए। इससे हमें खुशी मिलेगी। ऐसी खुशी बहुत कम मिलती है। शर्मिला जैन मांडवला ने कहा, मुझे मेरी माताजी सुशीला देवी से यह प्रेरणा मिली। वे रोज इन बेजुबान पक्षियों को दाना-पानी देती है। उनसे सीखकर अब मैं भी पिछले कई वर्षों से पक्षियों को दाना-पानी देने लगी हूं।
इस मौके पर श्री अखिल भारतीय श्री राजेन्द्र जैन महिला परिषद की सदस्यों ने पक्षियों के लिए दाना-पानी देने का संकल्प दोहराया। परिषद की सदस्यों ने कहा कि वे अपने घर की छत पर तथा अन्य स्थानों पर इस तरह के परिंडें जरूर लगाएंगी। साथ ही उसमें दाने-पानी की व्यवस्था भी करेंगी। अन्य लोगों को ऐसे कार्य के लिए प्रेरित करने में भी सहभागी बनेंगी। अक्सर गर्मियों के सीजन में कई बार पक्षी भूख-प्यास से व्याकुल होकर उड़ते हुए गिर जाते हैं और उनकी मृत्यु तक हो जाती है। इस स्थिति से निपटने के लिए प्रत्येक व्यक्ति आगे आएं और अपने घर-कार्यालय पर परिंडे लगाकर उनमें दाना-पानी की व्यवस्था करें। श्री अखिल भारतीय श्री राजेन्द्र जैन महिला परिषद की अध्यक्ष ललिता मलाणी चौराऊ, संगीता जैन रेवतड़ा, प्रीति बोहरा जालोर, चन्द्रिका ओबानी पोषाणा, सुशीला चौपड़ा सायला, सीमा सेठ धानसा, सुशीला वेदमूथा रेवतड़ा, पुष्पा बंदामूथा गोल-उम्मेदाबाद, उर्मिला ओबानी पोषाणा, रूचिका जैन समदड़ी समेत अन्य सदस्यों ने भी पक्षियों के लिए दाना-पानी देने का संकल्प दोहराया।
राजस्थान पत्रिका हर साल पत्रिका पक्षी मित्र अभियान चलाता है। इस अभियान के तहत घर, काम्प्लेक्स, मंदिर, कार्यालय, पार्क, गौशाला, सड़क और पेड़ों पर परिंडे बांधे जाते हैं। जिसमें पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था की जाती है। राजस्थान पत्रिका के इस अभियान से प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में लोग एवं सामाजिक संगठन जुड़ते हैं और पक्षियों के लिए परिंडे बांधते हैं। किसी भी रूप में राजस्थान पत्रिका पक्षी मित्र अभियान से जुडऩे के लिए व्हाटसऐप नंबर- 9940318115 पर संदेश भेज सकते हैं। पत्रिका के इस अभियान से आप भी जुड़ सकते हैं। सामाजिक और धार्मिक संगठन, संस्थाएं, एनजीओ, व्यापार मंडल, स्कूल और कॉलेज आदि इस मुहिम का हिस्सा बन सकते हैं।