यहां पढ़ें पूरा मामला
एआइसीटीएसएल ने बीआरटीएस पर चलने वाली बसों के किराया कलेक्शन का काम वर्ष 2013 में एमएनएक्स कंपनी को दिया था। एमएनएक्स ने असिस के साथ मिलकर ये टेंडर डाला था, जिसके बाद से बीआरटीएस पर फेयर कलेक्शन का काम यही कंपनी कर रही है। तुर्किए की कम्पनी के इंदौर में काम करने की जानकारी आते ही महापौर ने इस टेंडर को टर्मिनेट करने का फैसला लिया। इसी तरह से मेट्रो ट्रेन कॉर्पोरेशन ने भोपाल और इंदौर मेट्रो रेल परियोजना में ओपन लूप ईएमवी एनसीएमसी कार्ड और क्यूआर कोड आधारित स्वचालित किराया संग्रह एएफसी प्रणाली की डिजाइन, निर्माण, आपूर्ति, स्थापना, परीक्षण और कमीशनिंग और रखरखाव का टेंडर असिस को वर्ष 2024 में दिया, जबकि इस टेंडर को लेकर विवाद सामने आया था।
मेट्रो में सफर करने वालों का डेटा खतरे में
तुर्किए की कंपनी असिस को जो टेंडर दिया है, उसमें ओपन लूप ईएमवी एनसीएमसी कार्ड का काम कंपनी को करना है। ओपन लूप प्रणाली के तहत मेट्रो में यात्रा के बैंकों द्वारा जारी कार्ड या मोबाइल ऐप का उपयोग टिकट खरीदने के लिए कर सकेंगे। इसी तरह से क्यूआर कोड आधारित एएफसी प्रणाली के तहत स्कैनर के जरिए वे मोबाइल से स्कैन करते हुए टिकट खरीद सकते हैं। ऐसे में मेट्रो यात्रियों के बैंक अकाउंट सहित अन्य डाटा असिस के पास आसानी से जा सकता है, जो काफी असुरक्षित हो सकता है।
सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं
असिस के पास इंदौर-भोपाल की मेट्रो ट्रेन से जुड़ी सभी जानकारी भी पहुंचती रहेगी, क्योंकि कंपनी द्वारा ही टिकट सहित अन्य व्यवस्था रहेगी। यह सुरक्षा के लिहाज से भी परेशानी का कारण बन सकती है। बता दें, 31 मई को भोपाल में प्रधानमंत्री के हाथों इंदौर मेट्रो के लोकार्पण की तैयारी की जा रही है।
तुर्किए की कंपनी असिस को किया टर्मिनेट
एआइसीटीएसएल में तुर्किए की कंपनी असिस की हिस्सेदारी की बात सामने आते ही हमने उसे टर्मिनेट कर दिया है। हम इसकी और जांच करवा रहे हैं। – पुष्यमित्र भार्गव, महापौर व चेयरमैन एआइसीटीएसएल
जांच कर रही राज्य सरकार
तुर्किए की कंपनी को लेकर राज्य सरकार के स्तर पर जांच की जा रही है, उसके बाद ही इस पर फैसला लिया जाएगा। – शिवम वर्मा, एएमडी मेट्रो रेल प्रोजेक्ट
ऐसे किया गड़बड़झाला- लोकेश कुमार गुप्ता को बताया डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर
टेंडर में भाग लेने वाली एक अन्य कंपनी एनईसी के कर्मचारी लोकेश कुमार गुप्ता को असिस ने टेंडर में अपना की-पर्सन और डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर बताया था, जबकि गुप्ता एनईसी कॉर्पोरेशन इंडिया प्रा. लि. के नियमित कर्मचारी थे। उन्होंने नौकरी से इस्तीफा नहीं दिया था और न ही वे नोटिस पीरियड पर थे। इस फर्जीवाड़े की लिखित शिकायत के बाद पहले तो अफसरों ने कई महीनों तक इसे जांच के नाम पर लटका कर रखा। बाद में शिकायत गलत बताते हुए असिस को टेंडर दे दिया था। इसके बाद से मप्र की दोनों मेट्रो परियोजनाओं पर उसने काम शुरू कर दिया था।