वे शादी के बाद मात्र 3 दिन साथ रहे थे। उसके बाद तीन साल से अलग रह रहे हैं। उनके बीच सुलह की गुंजाइश नहीं होने के चलते उन्होंने तलाक के लिए अर्जी दी थी। फैमिली कोर्ट ने उन्हें 6 माह कूलिंग पीरियड अवधि नहीं होने के चलते उनकी अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने कोर्ट में अपील की।
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र्कोर्ट ने कूलिंग अवधि को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की शर्तों का उल्लेख करते हुए स्पष्ट कहा कि यदि तलाक की डिक्री बनाने के डेढ़ साल पहले से पति-पत्नी अलग हों तो कूलिंग पीरियड समाप्त किया जा सकता है। वहीं कोर्ट ने ये बात मानी कि जब दोनों शिक्षित हैं और तलाक के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं तो ऐसे में उन्हें इंतजार करवाना उनके दु:खों को आगे बढ़ाना होगा।