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जबलपुर

हाईकोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप के पक्ष में सुनाया फैसला, इस मुद्दे पर जताई चिंता

Live-in Relationship: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की एकल पीठ ने एक बालिग जोड़े को बिना शादी के साथ रहने की अनुमति दी, लेकिन इससे जुड़े एक अन्य मुद्दे पर चिंता भी जताई।

जबलपुरJan 02, 2025 / 06:51 pm

Akash Dewani

MP High Court allowed an adult couple for live-in relationship
Live-in Relationship: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता बालिग जोड़े को बिना शादी के एक साथ रहने की अनुमति दे दी। मामले पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने कहा कि दोनों याचिकाकर्ताओं की उम्र 18 साल से अधिक है, इसलिए उनके पास पसंद की स्वतंत्रता है, जिसे बाहरी ताकतों से संरक्षित किया जाना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई कि इतनी कम उम्र में लिव-इन रिलेशनशिप में प्रवेश करना कितना सही है।

जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने कहा

याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुबोध अभ्यंकर ने कहा कि कोर्ट याचिकाकर्ता (लड़का और लड़की) को 18 साल से अधिक उम्र होने के कारण बिना शादी के साथ रहने की अनुमति देता है। हालांकि, कोर्ट ने इतनी छोटी उम्र में बिना पूरी तरह परिपक्व और आर्थिक रूप से स्वतंत्र हुए लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के याचिकाकर्ताओं के फैसले पर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे इस न्यायालय से ऐसी सुरक्षा प्राप्त करते समय परिपक्वता का परिचय दें।
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पुलिस अधिकारियों को दिए निर्देश

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता लड़की ने कोर्ट में बताया कि उसकी बायोलॉजिकल मां की मृत्यु हो चुकी है। इसके बाद से ही दोनों ने लिव-इन रिलेशनशिप में रहना शुरू कर दिया था। लड़की ने इसका कारण बताया कि मां की मौत के बाद घर का माहौल उसके रहने के लायक नहीं था।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता की बात सुनने के बाद अपनी टिप्पणी में कहा कि याचिकाकर्ताओं को उनके माता-पिता सहित किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी उल्लंघन से संरक्षित किया जाना चाहिए। कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाई गई शिकायत पर गौर करें और उनके अधिकारों को संरक्षित करें।

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