पवार ने शनिवार को यहां राजस्थान पत्रिका की ओर से आयोजित 34वें पं. झाबरमल्ल शर्मा स्मृति व्याख्यान एवं सृजनात्मक साहित्य व पत्रकारिता पुरस्कार समारोह को संबोधित किया। उन्होंने एक सवाल पर कहा कि प्रिंट मीडिया कभी खत्म नहीं होगा। यहां ‘फेक न्यूज’ नहीं होती हैं। सोशल मीडिया से लोगों को सूचना प्राप्त हो सकती है, लेकिन अखबार में तथ्यों के साथ प्रामाणिक सूचना मिलती है। मीडिया समय के साथ अपना दृष्टिकोण बदले, क्योंकि अब संचार का तरीका पूरी तरह से बदल गया है। इसमें तकनीक ने अहम भूमिका निभाई है। प्रिंट मीडिया के लिए 35 से 45 वर्ष आयु वाले आशा की किरण हैं।
गैजेट्स थमाने की जगह बच्चों के साथ खेले
प्रताप पवार ने कहा कि सोशल मीडिया व मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल बच्चों को कई तरह के सिंड्रोम और ऑटिज्म जैसी बीमारियों की ओर धकेल रहा है। उन्होंने इस बीमारी के लिए माता-पिता को जिम्मेदार ठहराया और सलाह दी कि बच्चों को चुप करवाने या ध्यान भटकाने के लिए उन्हें गैजेट्स थमाने की जगह उनके साथ खेलें और बात करें। पहले हम संयुक्त परिवार में रहते थे तब बच्चों को सोशल मीडिया या गैजेट्स की आवश्यकता ही नहीं होती थी। उन्हें समाज व परिवार का सम्मान करने की सीख मिलती थी।
मुफ्त में सामग्री बांटकर बना रहे आलसी
पवार ने कहा कि मुफ्त अनाज बांटकर लोगों को आलसी बनाया जा रहा है। मुफ्त में सामग्री बांटना समस्या का समाधान नहीं है। उन्होंने बेरोजगार और स्किल को समाज के लिए एक बड़ी समस्या बताया।
चीन की तरह असल में कुछ करना होगा
पवार ने कहा कि चीन 2047 का आश्वासन नहीं दे रहा, वह जो कर रहा है हकीकत में कर रहा है। वैश्विक स्तर पर एआइ की बात करने वाले भी अब कृषि के बारे में बात कर रहे हैं। माइक्रोसॉफ्ट व बिल गेट्स फाउंडेशन से ग्लोबल एग्रीमेंट करके महाराष्ट्र में गन्ने का उत्पादन बढ़ाया गया है और लागत भी घटी है। उन्होंने कहा कि अमरीका जैसे देशों में युवाओं की कमी है और श्रम महंगा है। इसलिए इंडस्ट्री भारत आ रही हैं और यहां प्रोडक्ट तैयार कर एक्सपोर्ट करवा रही है। यहां प्राकृतिक संसाधन हैं और नॉलेज की ताकत भी है। हमारे पास बहुत सारे क्षेत्र हैं, जहां संभावनाएं हैं और ऐसे लोग भी हैं जो एक साथ काम कर सकते हैं नवाचार कर सकते हैं। ऐसे में कोई हमारी मदद क्यों नहीं करेगा। किसानों की कहानी भी पढ़ी जाती हैं
पवार ने कहा कि मेरे गृहक्षेत्र बारामती में हम बच्चों, महिलाओं, बुजुर्गों, दिव्यांग और किसान के लिए गतिविधियां चलाते हैं। हमारा डेली एग्रोवर्ल्ड न्यूजपेपर पूरे विश्व में इकलौता है। लोग कहते थे किसान अखबार कहां पढ़ेगा और वह भी पैसा देकर। हम रोजाना दो सफलता की कहानियां देते हैं, जिसे किसान पढ़ते हैं और हजारों लोगों के हमारे पास कॉल आते हैं कि यह कहानी हमें बहुत कुछ सीखा रही है। कोई मुझसे पूछता है कि आपने क्या किया है तो मैं कहता हूं कि मैंने कृषि को नॉलेज इनपुट दिया है। तकनीक से उन्हें जोड़ा है ताकि उनका काम आसान हो।
साहित्य व पत्रकारिता के लिए सम्मान
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की मौजूदगी में पवार और पत्रिका समूह के ग्रुप डिप्टी एडिटर भुवनेश जैन ने सृजनात्मक साहित्य पुरस्कार के विजेताओं को सम्मानित भी किया। जयपुर की उमा को उनकी कहानी सपना के लिए प्रथम पुरस्कार और जोधपुर के कुलदीप सिंह भाटी को उनकी कविता पूर्णता की ओर के लिए कविता का प्रथम पुरस्कार प्रदान किया। इसी तरह मुरैना के अंकित शर्मा को उनकी कविता सावन के दोहे और रायपुर के संजय दुबे को उनकी कहानी अंतिम संस्कार के लिए द्वितीय पुरस्कार प्रदान किया। पुरस्कार विजेताओं को साफा पहनाकर और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया, नकद राशि डिजिटल माध्यम से विजेताओं के खाते में ट्रांसफर कर दी गई।