CG News: 440 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा
खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में
छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों से 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान की खरीदी की थी। बस्तर जिले के संग्रहण केंद्रों में रखा गया यह धान कुल 620 करोड़ रुपए का है। यदि नीलामी वर्तमान बेस रेट (1900 रुपए) पर होती है, तो सरकार को अनुमानित रूप से 440 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ सकता है। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद शासन फिलहाल इस घाटे को वहन करने की स्थिति में है, लेकिन कस्टम मिलिंग के अनुबंधों के तहत धान उठाव की प्रक्रिया को लेकर कोई स्पष्ट योजना सामने नहीं आई है।
तीन माह बाद भी धान पड़ा हुआ
गौरतलब है कि धान खरीदी को तीन माह बीत चुका है, लेकिन अब तक संग्रहण केंद्रों में लाखों क्विंटल धान खुले में रखा हुआ है। इससे गुणवत्ता पर असर पड़ने की भी आशंका जताई जा रही है। प्रशासन दावा कर रहा है कि उठाव जारी है, परंतु वास्तविक स्थिति इससे भिन्न नजर आ रही है। इधर बारिश और मौसम में नमी की वजह से धान की क्वालिटी को नुकसान हो रहा है। अब री-टेंडर में न्यूनतम दर 1950 रुपए
CG News: मिली जानकारी के अनुसार मार्कफेड द्वारा धान की नीलामी के लिए टेंडर जारी किया गया था, जिसमें हरियाणा, ओडिशा समेत अन्य राज्यों के मिलर्स और कंपनियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने संग्रहण केंद्रों में जाकर धान की गुणवत्ता की जांच की और उसे संतोषजनक पाया।
बावजूद इसके, जब रेट भरने की बारी आई तो अधिकतर मिलर्स ने प्रति क्विंटल 1500 से 1600 रुपये की दर से बोली लगाई, जो कि शासन द्वारा खरीदी गई दर 3100 रुपए प्रति क्विंटल से काफी कम थी। कम दरों के चलते शासन ने इस टेंडर को निरस्त कर, पुन: नीलामी प्रक्रिया शुरू की है। नए टेंडर में धान की न्यूनतम दर 1950 और अधिकतम 2150 रुपए प्रति क्विंटल रखी गई है।
खुले आसमान के नीचे रखा गया लाखों क्विंटल धान मिलर्स ने कम दर पर लगाई बोली, टेंडर हुआ निरस्त गुणवत्ता सही, फिर भी खरीद में रुचि नहीं 13 मई तक तय होनी है नीलामी की प्रक्रिया
पूर्व में मिलर्स द्वारा बहुत कम दर भरे जाने की वजह से टेंडर रद्द किया गया था। संग्रहण केंद्रों से धीरे-धीरे धान का उठाव हो रहा है और जल्द ही शेष धान भी उठा लिया जाएगा।
राजेंद्र कुमार ध्रुव, जिला विपणन अधिकारी (डीएमओ)