Chhattisgarh Naxalite: 2025 में खून से लाल हुआ लाल आतंक का गढ़
लाल आतंक का गढ़ कहे जाने वाले राज्य छत्तीसगढ़ में इस साल 2025 में अब तक छोटे-बड़े कुल मिलाकर लगभग 20 घटनाएं हुईं है। 2025 में अब तक 718 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं। (chhattisgarh naxal encounter) वहीं पिछले 5 महीने में मारे गए नक्सलियों का डेथ टोल बढ़कर 183 हो चुका है। इससे पहले, बीजापुर के कर्रेगुट्टा पहाड़ी में सुरक्षाबलों के साथ हुए मुठभेड़ में 31 नक्सली मारे गए थे। ऐसे में इस साल मारे गए नक्सलियों का आंकड़ा बढ़कर 183 पहुंच चुका है। सुरक्षाबलों को लगातार मिल रही बड़ी कामयाबी
छत्तीसगढ़ के
नारायणपुर जिले में हुए एक बड़े एनकाउंटर में नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू मारा गया, जिस पर कुल डेढ़ करोड़ रुपए का इनाम था। (chhattisgarh naxal) वहीं माडवी हिडमा जैसे कई अन्य खूंखार नक्सली अभी भी फरार हैं। इसी कड़ी में नक्सलमुक्त भारत के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ऐलान किया है कि मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ से नक्सलियों को जड़ से खत्म कर दिया जाएगा।
इस तय लक्ष्य काे पाने के लिए बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित अंदरूनी इलाकाें को नक्सलवाद से मुक्त कराने के लिए छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों का अभियान जारी है। (chhattisgarh naxal news) लगातार हाे रही मुठभेड़ाें से नक्सलियों की कमर टूट रही है। इस खौफ से कहीं-कहीं तो नक्सली सरेंडर भी कर रहे हैं। वहीं नक्सल मोर्चे पर सुरक्षाबलाें को एक के बाद एक बड़ी कामयाबी मिल रही है।
छत्तीसगढ़ के वॉन्टेड नक्सली
माडवी हिडमा: सुकमा जिला झीरम घाटी में 33 लोगों की हत्याकांड के मास्टरमाइंड को लेकर भी एक दशक से चर्चाएं चल रही हैं। घटना के बाद अधिकांश मीडिया हाउस से हिडमा को मास्टरमाइंड बताया गया है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर कौन है हिडमा? माडवी हिडमा, जिसे हिडमन्ना, हिडमालु, या संतोष के नाम से भी जाना जाता है। वह छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पूवर्ती गांव का रहने वाला है। हिडमा भाकपा (माओवादी) की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की बटालियन नंबर-1 का कमांडर है। कई बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है। (naxal attack chhattisgarh) हिडमा की पहचान बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों के प्रमुख नेता के तौर पर होती है। वह अपनी कठोर रणनीति और सुरक्षा बलों पर हमलों के लिए कुख्यात है।
माडवी हिडमा पर घोषित इनाम: छत्तीसगढ़ सरकार ने हिडमा पर 45 लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया है। जबकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 2022 में उस पर 25 लाख रुपए का इनाम रखा था। कुछ स्रोतों के अनुसार, विभिन्न एजेंसियों द्वारा उस पर कुल मिलाकर 1 करोड़ रुपये तक का इनाम हो सकता है।
माडवी हिडमा की तलाश में छत्तीसगढ़ की पुलिस
वहीं वर्तमान स्थिति की बात करें तो हाल के एक घटनाक्रम में, संभवतः सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव के कारण नक्सली संगठन ने हिडमा को अपनी सेंट्रल कमेटी से बाहर कर दिया है। बताया जाता है कि वह अब गुप्त स्थान पर छिपकर बैठा है। उसका ठिकाना भी बदल चुका है। फिर भी, वह सुरक्षा बलों के लिए एक प्रमुख टारगेट बना हुआ है।
दूसरी वॉन्टेड नक्सली सुजाता की तलाश
सुजाता एक प्रमुख महिला नक्सली कमांडर हैं, जिसे 2021 के बीजापुर हमले में हिडमा के साथ शामिल माना गया था। वह नक्सली संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और छत्तीसगढ़ में सक्रिय है. छत्तीसगढ़ सरकार ने सुजाता पर 25 लाख रुपए का इनाम घोषित किया है। वह अभी भी फरार है और सुरक्षा बलों की नजरें सुजाता को खोजने में टिकी है। देश के 11 राज्यों में ‘रेड कॉरिडोर’
Chhattisgarh Naxalite: दरअसल पश्चिम बंगाल की कोख से जन्मे इन नक्सलियों का आतंक सिर्फ
छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश के 11 राज्यों में कुंडली बनाए बैठे हुए हैं, जिनमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 90 जिलों में नक्सलियों का ‘रेड कॉरिडोर’ फैला हुआ है। (chhattisgarh naxal news) इन जिलों में इससे पहले भी कई बार नक्सलियों ने सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाया है।
25 मई 2013 को झीरम घाटी में क्या हुआ था?
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2013 के पहले कांग्रेस ने अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए परिवर्तन यात्रा की शुरुआत की थी। उस दौरान राज्य में भाजपा सरकार थी। इस परिवर्तन यात्रा के जरिए कांग्रेस सत्ता पर काबिज होना चाह रही थी। कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा सुकमा से जगदलपुर लौट रही थी। इसी बीच 25 मई 2013 को एक ऐसी नक्सली घटना हुई जिसने न सिर्फ छत्तीसगढ़ को बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया। इस घटना में नक्सलियों ने एक साथ छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रथम पंक्ति के कई नेताओं को मौत के घाट उतार दिया। मरने वालों में तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, विद्या चरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार सहित लगभग 30 से ज्यादा नेता, कार्यकर्ता और कई जवान शामिल थे। इतना बड़ा राजनीतिक नरसंहार देश में इससे पहले नहीं हुआ।