Rajasthan Assembly: विधानसभा में राजस्थान विधियां निरसन विधेयक 2025 को सोमवार को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इस विधेयक के तहत प्रदेश में 45 अप्रचलित और अनुपयोगी कानूनों को खत्म करने का निर्णय लिया गया है, जिनमें 37 कानून पंचायती राज से जुड़े हैं। इनमें बीकानेर स्टेट डिस्ट्रिक्ट बोर्ड अमेंडमेंट एक्ट 1952, बीकानेर म्यूनिसिपल अमेंडमेंट एक्ट 1952 जैसे कई दशकों पुराने कानून शामिल हैं।
विधानसभा में चर्चा के दौरान संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि समय-समय पर अप्रचलित और अनुपयोगी कानूनों को हटाने की प्रक्रिया चलती रही है। कांग्रेस सरकार के दौरान भी 123 पुराने कानून खत्म किए गए थे, जिनमें 100 संशोधन कानून (अमेंडिंग लॉ) थे।
बिल को प्रवर समिति में भेजने की उठी मांग
जोगाराम पटेल ने कहा कि हमारी सरकार लीगल सिस्टम को सरल और प्रभावी बनाने के लिए काम कर रही है। पुराने और अप्रचलित कानूनों को हटाने से जनता को सीधा लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने सभी प्रशासनिक विभागों से पुराने और अप्रभावी कानूनों की जानकारी मांगी थी, जिसके आधार पर यह विधेयक लाया गया।
वहीं, कांग्रेस विधायकों ने इस विधेयक को लेकर सरकार पर जल्दबाजी का आरोप लगाया। कांग्रेस विधायक मनीष यादव ने कहा कि राज्य में कई और भी पुराने कानून हैं, जिन्हें हटाने की जरूरत है। इसलिए इस बिल को पहले प्रवर समिति में भेजा जाना चाहिए।
कोचिंग बिल पर MLA गोपाल शर्मा का तंज
राजस्थान विधानसभा में कोचिंग रेगुलेशन बिल पर चर्चा के दौरान बीजेपी विधायक गोपाल शर्मा ने इसकी कुछ धाराओं पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस बिल में नियमों के उल्लंघन पर 2 लाख और 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है, तो क्या यह सिर्फ छोटी मछलियों को पकड़ने के लिए लाया गया है?
गोपाल शर्मा ने कहा कि डबल इंजन की सरकार है तो साथ-साथ चलो। केंद्र की गाइडलाइन में 16 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को ही कोचिंग में पढ़ाने का प्रावधान है। यह प्रावधान इस बिल से क्यों गायब है। उन्होंने कोचिंग सिस्टम को शिक्षा का मायाजाल बताते हुए कहा कि यह कोचिंग संस्थान इतनी ताकतवर हो चुके हैं कि कहीं राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त न कर दें।
राणा सांगा विवाद पर दिया ये बयान
उन्होंने शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिछले साल जयपुर में एक कार्यक्रम के दौरान 10 स्कूलों के छात्रों से देश के एक बड़े पदाधिकारी का नाम पूछा गया, लेकिन वे जवाब नहीं दे सके। अगर हमारी शिक्षा प्रणाली में ऐतिहासिक हस्तियों की अनदेखी होती रही, तो आने वाली पीढ़ी इतिहास को भूल जाएगी। उन्होंने कहा कि जब राणा सांगा की आलोचना को लेकर किसी को आपत्ति नहीं है, तो हसन खान मेवाती, अशफाक उल्ला खान, एपीजे अब्दुल कलाम जैसे महापुरुषों को कौन याद करेगा?
कालीचरण सराफ ने भी किया विरोध
इस दौरान कोचिंग रेगुलेशन बिल पर बहस के दौरान बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ ने इसके प्रावधानों का खुलकर विरोध किया। सराफ ने इस बिल को प्रवर समिति को भेजने की मांग की। सराफ ने कहा- यह बिल अगर मौजूदा स्वरूप में पारित हो गया तो यह कोचिंग संस्थान राजस्थान से बाहर शिफ्ट हो जाएंगे। हजारों शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे। 60 हजार करोड़ का कारोबार छोटे हो जाएगा।
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