इस आयोजन का नेतृत्व संस्कृति युवा संस्था एवं नवसंवत्सर उत्सव समारोह समिति ने किया। संस्था के अध्यक्ष पं. सुरेश मिश्रा, नीलम मिश्रा, एवं हवामहल विधायक बालमुकुंदाचार्य ने विधि-विधान से अश्वों का पूजन कर उन्हें रवाना किया। इस मौके पर मिश्रा ने कहा कि नव संवत्सर 2082 के स्वागत के लिए पूरे शहर में हर्ष और उल्लास का वातावरण है, और यह पर्व भारतीय संस्कृति और परंपराओं को जीवंत बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन रहा है।
पांच दिन होंगे विशेष आयोजन
संस्था के संरक्षक एडवोकेट एचसी गणेशिया ने बताया कि नव संवत्सर उत्सव के तहत 31 मार्च तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। प्रचार के लिए छोड़े गए सफेद अश्व ईशान दिशा में खोले के हनुमानजी मंदिर, पूर्व में गलता, आग्नेय में गोनेर मंदिर, दक्षिण में सांगा बाबा, नैऋत्य में स्वामी नारायण मंदिर, पश्चिम में हाथोज हनुमानजी, वायव्य में कदम्ब डूंगरी और उत्तर में आमेर के काले हनुमान मंदिर जाएंगे। ये अश्व जयपुर के प्रमुख स्थानों से होते हुए मंदिरों में पहुंचेंगे, जिन पर “नव संवत्सर 2082 मंगलमय हो” और “नव संवत्सर 2082 की हार्दिक शुभकामनाएं ” लिखे बैनर लगे हुए हैं।
30 मार्च को जयपुर के प्रमुख मंदिरों में घंटे-घड़ियाल बजाकर नव संवत्सर का स्वागत किया जाएगा। इसके बाद शाम को गोविंददेवजी मंदिर में भव्य महाआरती का आयोजन होगा।
इस पावन अवसर पर पूर्व सांसद रामचरण बोहरा, पूर्व महापौर ज्योति खंडेलवाल, घाट के बालाजी के महंत सुदर्शनाचार्य, श्याम मंदिर के महंत लोकेश मिश्रा, सरस निकुंज के प्रवीण बड़े भैया, गढ़ गणेश के गौरव मेहता, सागानेरी गेट हनुमान मंदिर के कैलाश गोड, लाडलीजी मंदिर के महंत संजय गोस्वामी, धर्म प्रचारक विजय शंकर पांडे और अन्य संत-महंतों की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।