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राजस्थान में सत्ता पक्ष-विपक्ष और अध्यक्ष के बीच गतिरोध तोड़ने के लिए प्रयास बेनतीजा, कोई झुकने को तैयार नहीं

Rajasthan News: विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि सदन चलाने की नियम और प्रक्रियाएं होती है। उसका उल्लंघन सहन नहीं किया जा सकता।

जयपुरFeb 23, 2025 / 08:09 am

Rakesh Mishra

Rajasthan Assembly Budget Session
कांग्रेस के छह विधायकों के निलम्बन के बाद विधानसभा में शुरू हुआ धरना शनिवार को भी जारी रहा। सत्ता पक्ष-विपक्ष और अध्यक्ष के बीच गतिरोध तोड़ने के लिए प्रयास बेनतीजा रहे क्योंकि तीनों ही पक्ष झुकने को तैयार नहीं है। माना जा रहा है कि अब सोमवार को ही यह तय होगा कि धरने की दिशा किस तरफ जाएगी? उधर, कांग्रेस ने इस मुद्दे के विरोध में प्रदेश भर में प्रदर्शन किया।
सदन में धरना दे रहे दो कांग्रेस विधायकों संजय जाटव और जाकिर हुसैन गैसावत की शनिवार सुबह तबीयत भी खराब हो गई। चिकित्सकों ने उनकी जांच कर दोनों को घर जाकर आराम की सलाह भी दी, लेकिन वे सदन में ही डटे रहे। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल, गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म, सत्ता पक्ष के श्रीचंद कृपलानी, पुष्पेन्द्र सिंह बाली सहित अन्य नेताओं ने नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और गोविन्द सिंह डोटासरा से बातचीत कर सुलह का रास्ता निकालने की कोशिश की, लेकिन शनिवार देर रात तक ऐसा नहीं हो सका।
उधर, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अजमेर में कहा कि सदन चलाने की नियम और प्रक्रियाएं होती है। उसका उल्लंघन सहन नहीं किया जा सकता। भाजपा के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास इस मुद्दे पर शनिवार को भी बोले। उन्होंने कहा कि विधानसभा में जो भी हुआ, वो कांग्रेस के दो गुटों की आपसी लड़ाई है। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता। ये लोग कांग्रेस की बची छवि भी बर्बाद कर रहे हैं।

सत्तापक्ष हटधर्मिता पर अड़ा

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि सत्तापक्ष हटधर्मिता पर अड़ा हुआ है। एक मंत्री की गलती की सजा पूरे राजस्थान की जनता भुगत रही है। सरकार गतिरोध दूर ही नहीं करना चाहती। विपक्ष की ओर से वार्ता के सभी रास्ते खुले रखे गए हैं लेकिन सरकार सदन चलाना ही नहीं चाहती।
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अब आगे क्या

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली सदन में खेद प्रकट करने को तैयार होते हैं। निलम्बित विधायक सदन से बाहर जाते हैं और फिर निलम्बन रद्द होने पर अंदर आकर गोविन्द सिंह डोटासरा सहित अन्य नेता खेद प्रकट करते हैं। इसके बाद अविनाश गहलोत भी खेद प्रकट करते हैं तो सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सकती है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो सदन की कार्यवाही बाधित रहने के आसार बने हुए हैं।

वर्तमान में यह है स्थिति

  • * सत्ता पक्ष के नेताओं का मानना है कि मंत्री अविनाश गहलोत ने ऐसी कोई असंसदीय टिप्पणी नहीं की, जिस पर माफी मांगी जानी चाहिए।
  • * विपक्ष के नेताओं का कहना है कि इंदिरा गांधी पर टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अविनाश गहलोत पहले माफी मांगे, इसके बाद ही सुलह का रास्ता निकलेगा। गोविन्द सिंह डोटासरा भी अध्यक्ष के समक्ष हुए घटनाक्रम पर सदन में माफी मांगने या खेद प्रकट करने को तैयार नहीं है।
  • * स्पीकर विपक्ष के रवैये से नाराज हैं और स्पष्ट कर चुके हैं कि विपक्ष जब तक सदन में माफी नहीं मांग लेता, तब तक वे निलम्बन के मामले में कोई निर्णय नहीं लेंगे।
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