इस मुद्दे को राजस्थान पत्रिका ने गत 18 जनवरी के अंक में ‘माइनिंग का मलबा उगलेगा सोना, सरकार ने मांगे सुझाव’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। पत्रिका ने बताया कि सरकार इन पहाड़ों को समाप्त करने के लिए सड़क निर्माण या अन्य काम में इनका उपयोग हो इसके लिए सुझाव भीलवाड़ा से मांगे गए थे।
बिजौलियां में सेंड स्टोन के खड़े हैं पहाड़
जिले के बिजौलियां खनन क्षेत्र में सेंड स्टोन की खदानें हैं। यहां खदान से निकले पत्थर के टुकड़ों को इधर-उधर फेंक दिया जाता है। इससे 500 हेक्टेयर जमीन पर इनके पहाड़ खड़े हो गए हैं। खनन वालों ने खनन के बाद मलबा वहीं छोड़ दिया। खनिज विभाग ने मालिकों को भूमि समतल करने के लिए पाबंद नहीं किया। नतीजतन क्षेत्र में जहां पहले पहाड़ थे, वहां गहरी खाइयां और जहां समतल भूमि थी वहां खनन से निकले पत्थरों की पहाड़ियां बन गईं।
ताक पर रखे नियम-कायदे
प्रदेश में भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, अलवर, जयपुर, जोधपुर, बालोतरा, कोटा, बूंदी आदि जिलों में अवैध खनन के चलते मलबे के पहाड़ खड़े हो गए हैं। भीलवाड़ा जिले में सर्वाधिक खनन माण्डलगढ़-बिजौलियां क्षेत्र में होता है। इसके अलावा जिले के अन्य क्षेत्र में भी खदानें हैं। वहां भी अधिकांश में खनन के नियम-कायदे ताक में रखे हैं। खनिज दोहन के बाद बचे मलबे को इधर-उधर फेंका जा रहा है।
सरकार ने दी छूट
खदानों के बाहर राजकीय भूमि में एकत्र ओवरबर्डन से एम-सेंड बनाने पर रॉयल्टी में छूट दी है। गैर सरकारी भूमि में पड़े एम-सेंड सहित अन्य प्रयोजनार्थ उपयोग पर रॉयल्टी में 50% की छूट का प्रावधान किया। ये सुझाव भीलवाड़ा खनिज विभाग की विजिलेंस टीम के अधिकारियों ने दिए थे।