दरअसल, जयपुर में अशोक गहलोत ने महान समाजसेवी महात्मा ज्योबा फुले जयंती पर शुक्रवार को यहां उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण करने के बाद मीडिया से बातचीत में एक सवाल के जवाब में यह बात कही।
ये मानवता पर कलंक- गहलोत
अशोक गहलोत ने कहा कि ये घटना पूरे देश के लिए शर्म की बात है। लोग पुतले जला रहे हैं, निंदा कर रहे हैं और इसे केवल दलित विरोधी नहीं, बल्कि मानवता विरोधी मान रहे हैं। ये 21वीं सदी है और आज भी अगर किसी दलित नेता के मंदिर जाने के बाद वहां गंगाजल से शुद्धिकरण किया जाए, तो ये साफ दर्शाता है कि मनुवादी सोच आज भी जिंदा है।
RSS चलाए देशव्यापी अभियान
गहलोत ने आरएसएस को सीधे तौर पर चुनौती दी कि यदि वे सचमुच दलितों और आदिवासियों को हिंदू मानते हैं, तो उन्हें आगे आकर देशभर में छुआछूत के खिलाफ अभियान चलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरएसएस खुद को सांस्कृतिक संगठन कहती है, फिर वह चुप क्यों है? आज तो सरकार भी उनकी है, फिर यह जिम्मेदारी उनकी क्यों नहीं बनती? इसके लिए आरएसएस के मोहन भागवत क्यों नहीं आगे आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दुओं में आपस में छुआछूत हो रही है, यह जिम्मेदारी समाज की है और आरएसएस-भाजपा को इसमें सहयोग करना चाहिए। आरएसएस को देश में आह्वान करना चाहिए कि हम हिन्दू आपस में कोई छुआछूत की भावना नहीं रखेंगे।
‘BJP-RSS की मानसिकता उजागर हुई’
गहलोत ने यह भी कहा कि, “ये जो घटनाएं हो रही हैं – मंदिर में जाने पर शुद्धिकरण, भेदभाव – ये बीजेपी और संघ की मानसिकता को उजागर करती हैं। अगर यह आरोप गलत है, तो बीजेपी और आरएसएस को सामने आकर कहना चाहिए कि वे छुआछूत के खिलाफ हैं। अगर वे चुप हैं, तो इसका मतलब साफ है कि इस मानसिकता में वे भी शामिल हैं। जूली के बहाने कांग्रेस का बड़ा निशाना
गौरतलब है कि नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली को लेकर यह मामला अब कांग्रेस की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बनता जा रहा है। कांग्रेस ने इस पूरे विवाद को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया है और इसे दलित सम्मान और सामाजिक न्याय से जोड़कर भाजपा पर सीधा हमला बोला है।
क्या है मंदिर शुद्धिकरण का विवाद?
बताते चलें कि हाल ही में राजस्थान के अलवर जिले में रामनवमी के दिन नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली एक मंदिर में दर्शन करने पहुंचे थे। उनके जाने के बाद बीजेपी नेता ज्ञानदेव आहूजा ने मंदिर में गंगाजल छिड़ककर शुद्धिकरण किया था, जिससे विवाद पैदा हुआ। इसका वीडियो सामने आने के बाद भाजपा बैकफुट पर आ गई और आहूजा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित करते हुए तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा था।