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साइबर अपराधियों की अब खैर नहीं: साइबर धोखाधड़ी की शिकायतें बनेंगी सीधी एफआईआर

पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू की ई-जीरो एफआईआर की पहल, 10 लाख से अधिक की साइबर ठगी पर स्वत: दर्ज होगी एफआईआर, उद्देश्य: तेज़ कार्रवाई, बेहतर साइबर सुरक्षा

जयपुरMay 21, 2025 / 01:54 pm

MOHIT SHARMA

जयपुर/दिल्ली. साइबर अपराधियों पर नकेल कसने की सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। अब अभूतपूर्व गति से अपराधियों को पकडऩे के लिए नई ई-जीरो-एफआईआर पहल शुरू की है। नया सिस्टम जांच में तेजी लाएगा, जिससे साइबर अपराधियों पर सख्ती हो सकेगी, जल्द ही इसका विस्तार पूरे देश में किया जाएगा।
अपने ‘एक्स’ पोस्ट में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया कि हाल ही दिल्ली के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे शुरू किया गया। यह नया सिस्टम, नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) या 1930 पर दर्ज साइबर वित्तीय अपराधों को स्वत: ही एफआईआर में परिवर्तित करेगा। शुरू में यह 10 लाख रुपए से ऊपर की सीमा के लिए होगा। गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (14सी) की हाल की समीक्षा बैठक में साइबर वित्तीय अपराध के पीडि़तों के गंवाए हुए धन को वापस हासिल करने में आने वाली कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए इस पहल को लागू करने के निर्देश दिए थे।

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ये सब मिलकर लगाएंगे साइबर अपराध पर लगाम

राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल और राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 ने साइबर वित्तीय अपराधों से संबंधित शिकायतों की आसान रिपोर्टिंग और त्वरित कार्रवाई को सक्षम बनाया है। शुरू की गई नई प्रक्रिया में १४सी के एनसीआरपी, दिल्ली पुलिस के ई-एफआई सिस्टम और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस) का एकीकरण शामिल है।

संबंधित क्षेत्रीय साइबर अपराध पुलिस स्टेशन को भेजेंगे ई-एफआईआर

अब एनसीआरपी और 1930 पर 10 लाख रुपए से अधिक की वित्तीय हानि से संबंधित शिकायतें स्वचालित रूप से दिल्ली की ई-क्राइम पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर के रूप में दर्ज होंगी। इसे तुरंत संबंधित क्षेत्रीय साइबर अपराध पुलिस स्टेशनों को भेजा जाएगा। शिकायतकर्ता 3 दिनों के भीतर साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में जाकर जीरो एफआईआर को नियमित एफआईआर में परिवर्तित कर सकते हैं।

अन्य राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में होगी लागू

दिल्ली पुलिस और भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (१४सी), गृह मंत्रालय ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 173 के नए प्रावधानों के अनुसार मामलों के पंजीकरण के लिए एक प्रक्रिया स्थापित करने के लिए मिलकर काम किया है। प्रादेशिक अधिकार क्षेत्र पर ध्यान दिए बिना इलेक्ट्रॉनिक रूप से एफआईआर जारी करने की प्रक्रिया (ई-जीरो-एफआईआर) शुरू में दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू होगी। बाद में इसे अन्य राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में लागू किया जाएगा। दिल्ली के ई-क्राइम पुलिस स्टेशन को एनसीआरपी पर दर्ज विशिष्ट प्रकृति की साइबर अपराध शिकायतों के लिए ई-एफआईआर दर्ज करने और उन्हें क्षेत्रीय पुलिस स्टेशनों में स्थानांतरित करने के लिए अधिसूचित किया गया है।

पीड़ितों के धन की होगी वसूली

यह पहल एनसीआरपी/1930 पर दर्ज शिकायतों को एफआईआर में परिवर्तित करने की प्रक्रिया में सुधार करेगी, जिससे पीड़ितों के गंवाए हुए धन की आसान वसूली होगी। साइबर अपराधियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई को सुगम बनाया जाएगा। इसमें हाल ही में लागू किए गए नए आपराधिक कानूनों के प्रावधानों का लाभ उठाया गया है।

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