रविकान्त ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस वर्ष 1200 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व जुटाया गया है, जो विभाग की कुशलता और निरंतर प्रयासों को दर्शाता है। बैठक में विभागीय एमनेस्टी योजना के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया गया, जिससे बकायादारों से बकाया वसूली को तेज किया जा सके। साथ ही, मेजर और माइनर मिनरल ब्लॉकों की नीलामी में तेजी लाने की आवश्यकता प्रतिपादित की गई।
इस बैठक की एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि चार अधिकारियों को कार्य में लापरवाही बरतने के चलते कारण बताओ नोटिस जारी किए गए। यह कदम विभाग की सुशासन की नीति को दर्शाता है, जिसमें कार्य में पारदर्शिता और जवाबदेही को प्राथमिकता दी जा रही है।
रविकान्त ने यह भी निर्देश दिए कि नीलामी खानों में खनन गतिविधियों की शुरुआत के लिए सभी औपचारिकताओं को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए। इससे न केवल राजस्व में वृद्धि होगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इसके अतिरिक्त, लंबित विधानसभा प्रश्नों और न्यायालयों में विचाराधीन प्रकरणों में त्वरित उत्तर भिजवाने की प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए गए।
बैठक में निदेशक माइंस श्री भगवती प्रसाद कलाल ने बताया कि इस वर्ष विभागीय मॉनिटरिंग सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं। पर्यावरणीय स्वीकृतियों के मामलों में भी तेजी लाने के लिए जिला और राज्य स्तर पर समन्वय बढ़ाया गया है।
इस प्रकार, माइंस विभाग ने न केवल राजस्व अर्जन में उल्लेखनीय प्रगति की है, बल्कि सुशासन की दिशा में भी ठोस कदम उठाए हैं। विभाग का यह प्रयास राज्य के खनन क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के साथ-साथ पारदर्शी और उत्तरदायी प्रशासनिक प्रणाली की मिसाल पेश कर रहा है।
बैठक में एमई सोजत, एएमई ब्यावर, एएमई सवाई माधोपुर और एएमई रुपवास को कार्य में लापरवाही के चलते कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए।