देवशयन एकादशी पर सुबह मां जानकी की सवारी पुराना कटला स्थित जगन्नाथ मंदिर से सुबह 8 बजे रूपबास के लिए रवाना हुई। इसके बाद विवाह की सभी रस्में शुरू हुई। भगवान के चतुर्भुज रूप के दर्शन भी इसी दिन हुए।
जगन्नाथ भगवान के रूपबास पहुंचने के साथ ही यहां पर मेला प्रारंभ हो गया है। मंदिर के महंत पं. राजेंद्र शर्मा ने बताया कि देवशयनी एकादशी पर वर्ष में एक बार ही भगवान जगन्नाथ चतुर्भुज रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। इसी रूप में उनका जानकी मैया से विवाह होता है। एकादशी पर चरणों के दर्शन का विशेष महत्व माना गया है।
बूढ़े जगन्नाथ जी के दर्शनों को उमड़े भक्त
भगवान जगन्नाथ के रूपबास पहुंचने के बाद से ही पुराना कटला जगन्नाथ मंदिर में विराजमान बूढ़े जगन्नाथजी के दर्शनों के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही हैं। बुजुर्ग भक्तों की संख्या अधिक है जो अपने पोते-पोतियों को दर्शनों के लिए ला रहे हैं। मंदिर में भक्ति संध्या में भी भक्त भजनों की प्रस्तुति दे रहे हैं।