मैंने बेटे की मौत का सौदा नहीं किया, डरा दिया था
भारत के पिता भानुप्रताप सैनी ने कहा कि मैंने बेटे की मौत का सौदा नहीं किया। घटना के बाद से मुक्ता मैडम का एक आदमी आस-पास मंडराता रहा। मैं उसे नहीं जानता। मैंने शिकायत में आरएएस मुक्ता मैडम का नाम लिखा था, लेकिन उस आदमी ने डरा दिया और कहा कि मैडम मजिस्ट्रेट हैं। घर बर्बाद कर देंगी। परिवार में कोई नहीं बचेगा। तब मुझ से दूसरी शिकायत लिखवाकर पुलिस को दिलवाई। बेटे के हिसाब के पैसे देने के बाद डराया-धमकाया, तब थाने में लिखकर दिया। लेकिन वापस थाने में लिखकर दूंगा कि मुझे न्याय चाहिए। यह भी कहा कि सर्व समाज से पूछता हूं कि मुक्ता मैडम पद पर रहने लायक हैं क्या? मुख्यमंत्री से न्याय की गुहार है।कहा था… आज तेरे गिरवी जेवर छुड़वा दूंगा
बिलखते हुए वर्षा ने कहा कि 18 अप्रेल की सुबह तैयार होते हुए पति ने कहा था कि खुशखबरी है कि आज तेरे गिरवी जेवर छुड़ा दूंगा। मुझे पता नहीं था कि 14वीं मंजिल से कूदकर मेरे जेवर दिलवाएंगे। मुझे ऐसे जेवर नहीं चाहिए। रॉयल ग्रीन अपार्टमेंट ही खराब है। गत वर्ष भी सुभाष नाम के व्यक्ति ने काम करवाकर 7 लाख रुपए नहीं दिए। तब भी पति परेशान रहा था, एक बार रेलवे लाइन पर सुसाइड करने चला गया, लेकिन बाद में घर आकर कहा कि तेरा और बच्चों का चेहरा आंखों के सामने घूम गया। आज आत्महत्या कर लेता। तब उसे काफी समझाया था। ऐसा कदम कभी मत उठाना, लेकिन इस बार न जाने क्या हुआ मैं और मेरे बच्चे पति को क्यों नजर नहीं आए।Rajasthan Crime : माता-पिता को मौत के घाट उतारा, बेटा-पोता गिरफ्तार, वजह सिर्फ इतनी सी थी
यों एफआइआर वापस लेने का अधिकार नहीं
आत्महत्या जैसा गंभीर (संज्ञेय) अपराध हुआ है। इस मामले में एफआइआर दर्ज है, जिसे किसी को वापस लेने का अधिकार नहीं है। परिवादी कार्रवाई नहीं चाहता है, उसके चाहने से ऐसा नहीं होता है। अनुसंधान और तथ्यों के आधार पर मामले में निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी। कई तथ्यों की जांच की जा रही है।अमित कुमार, डीसीपी (वेस्ट), जयपुर कमिश्नरेट
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राजीनामा से बंद नहीं होता है आपराधिक मामला
राजीनामा से आपराधिक मामला बंद नहीं होता है। आत्महत्या जैसे मामलों में राजीनामा मूल अभियोजन को समाप्त नहीं कर सकता। क्योंकि उक्त मामले में सुसाइड नोट व अन्य साक्ष्य महत्वपूर्ण हैं। परिवादी के राजीनामा से यहां केस बंद नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में निर्देश दे रखे हैं। पुलिस साक्ष्यों के आधार पर जांच रिपोर्ट न्यायालय में पेश करे।दीपक चौहान, अधिवक्ता, हाईकोर्ट
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जांच रिपोर्ट न्यायालय में करनी चाहिए पेश
किसी व्यक्ति को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने का अपराध राजीनामा के काबिल नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि आत्महत्या के दुष्प्रेरण के आरोप के संबंध में दर्ज एफआइआर को केवल आरोपी व मृत व्यक्ति के परिवार के मध्य राजीनामा हो जाने के आधार पर या फिर वित्तीय विवाद के संदर्भ में राजीनामा हो जाने के आधार पर खत्म नहीं किया जा सकता। प्रकरण के तथ्यों व साक्ष्य के आधार पर अनुसंधान अधिकारी को जांच रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करनी चाहिए।मोहित खंडेलवाल, अधिवक्ता, हाईकोर्ट