न्यायाधीश प्रवीर भटनागर ने महेश मित्तल की जमानत याचिका पर 31 जनवरी को सुनवाई पूरी कर ली थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विवेक राज बाजवा ने कोर्ट को बताया था कि तीन आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी। याचिकाकर्ता पर संजय बड़ाया के जरिए तत्कालीन मंत्री
महेश जोशी को रुपए पहुंचाने का आरोप लगाया है, लेकिन महेश जोशी को आरोपी ही नहीं बनाया है। याचिका में कहा कि जेल में रखने से याचिकाकर्ता के संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मिले अधिकार प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में जमानत पर रिहा किया जाए।
अतिरिक्त सॉलिसिटर ने किया विरोध
ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजदीपक रस्तोगी ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की लार्जर बेंच के फैसले के अनुसार ऐसे मामलों में उसी स्थिति में जमानत दी जा सकती है, जब कोर्ट को प्रथम दृष्टया ही आरोप सही नहीं लगें। इस मामले में तो आरोपी के खिलाफ ईडी कोर्ट में प्रसंज्ञान लिया जा चुका है। इसके अलावा सह आरोपी को गिरफ्तार नहीं किए जाने के आधार पर जमानत की मांग नहीं की जा सकती।