विकास जैन/मुकेश शर्मा जयपुर। साइबर ठग आम लोगों के बैंक खातों के लुटेरे ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा है। राजस्थान पत्रिका की पड़ताल में यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है। साइबर ठगी के लिए असम और मध्य प्रदेश से बड़े स्तर पर मेवात क्षेत्र में मोबाइल और सिम सप्लाई किए जा रहे हैं। ठगों को मोबाइल और सिम देने वालों के तार बांग्लादेश तक जुड़े होने का पता चला है।
असम में दो गैंग इसमें सक्रिय हैं। एक गैंग का सरगना जहीरुल और दूसरी का सरगना राकिब खान है। राजस्थान के मेवात क्षेत्र में बिलाल उर्फ बिल्ला और साजिद की गैंग सक्रिय है। यह दोनों गैंग चेन सिस्टम बनाकर अपने गुर्गों के जरिए साइबर ठगों को मोटी रकम पर सिम बेचते हैं। राजस्थान, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के मेवात क्षेत्र के कई गांवों में सक्रिय साइबर ठगों के यह सिम सप्लायर बन हुए हैं।
पत्रिका टीम ने प्रारंभिक पड़ताल में पुष्टि के बाद साइबर ठगों के सप्लायर्स पर शिकंजा कसना शुरू किया। मोबाइल सिम की तस्करी से जुड़ी पूरी जानकारी मय साक्ष्य पुलिस महानिरीक्षक भरतपुर राहुल प्रकाश और डीग पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा तक साझा की।
इसके बाद बड़े स्तर पर साइबर के लिए फर्जी सिम उपलब्ध करवाने वालों की धरपकड़ के लिए डिकॉय ऑपरेशन चलाया। साइबर एक्सपर्ट को 20 हजार रुपए अग्रिम दिए गए, ताकि फर्जी सिम सप्लाई करने वालों तक पहुंचा जा सके। डिकॉय के बाद पुलिस ने ठगों को फर्जी सिम सप्लाई करने के मामले में चार जालसाजों को गिरफ्तार किया, जबकि 8 को नामजद किया है।
पत्रिका का ‘रक्षा कवच’ अभियान
राजस्थान पत्रिका पाठकों के लिए केवल निष्पक्ष समाचारों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनके हर सुख-दु:ख का साथी भी है। पाठकों के साथ पत्रिका के संबंध को शब्दों में बताना संभव नहीं क्योंकि यह अनुभव का विषय है। सामाजिक सरोकार में नई पहल के अंतर्गत अब पत्रिका ने बीड़ा उठाया है समाज में अपराध की बढ़ती दर कम करने का।
पत्रिका ने अपने पाठकों की सहभागिता के साथ अपराध नियंत्रण के लिए ‘रक्षा कवच’ अभियान की नींव रखी है। इसमें हर उस चेहरे को बेबाकी से बेनकाब किया जाएगा, जो समाज की सुरक्षा के लिए खतरा है। दरअसल, अपराधों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। बदलते दौर में आर्थिक अपराध के साथ साइबर ठगों का भी चहुंओर आतंक है। भ्रष्टाचार, महिला उत्पीड़न, बाल-अपराध, चोरी, हत्या हर क्षेत्र में क्राइम ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। समाज में अपराधों की बढ़ोतरी का मुय कारण लोगों में अपराध से बचाव के तरीकों की जागरूकता में कमी है। पुलिस-प्रशासन अपना काम कर रहे हैं लेकिन पाठकों की सहभागिता के बिना अपराध दर में कमी मुश्किल है। तो आइए अपराध को कम करने के लिए साथ कदमताल शुरू करें…
वाट्सऐप कॉल पर बिलाल उर्फ बिल्ला का हुआ पर्दाफाश
एक्सपर्ट : मैं…वह बोल रहा हूं ? सरगना बिलाल का भाई मुश्ताक : हैलो…हां बोल एक्सपर्ट : भाई मुझे …कंपनी की 10 सिम चाहिए मुश्ताक : चल मैं तुझे कॉल करता हूं बात करके एक्सपर्ट : कुछ शर्म तो कर ले भाई…मैंने जानकारी की…उसने कहा कि तू कहां कट (एक सिम की मोटी रकम देना) रहा है मुश्ताक : मेरी बात सुन…ऐसी बात है तो तू बात कर ले…कोई दिक्कत नहीं है…यह सोच तुझे फायदा होना चाहिए एक्सपर्ट : मुझे बिलाल का नंबर दे…मैं उससे सीधे बात कर लेता हूं मुश्ताक : बिलाल मोबाइल नहीं रखता एक्सपर्ट : चल कोई बात नहीं है…मैं आ रहा हूं…कैसे भी करके 10 सिम दिलवा दे और पैसे कम कर दे मुश्ताक : चल मैं तुझे फोन करता हूं आधा घंटे या ज्यादा से ज्यादा 20 मिनट एक्सपर्ट : तब तक तो हम निकल जाएंगे…फिर क्या फायदा, हम जंगल में ही खड़े हैं मुश्ताक : चल जल्दी ही बता रहा हूं…कुछ देर बाद वाट्सऐप कॉल पर कहा कि तू कहां है एक्सपर्ट : मैं …यहां हूं…तू बता कहां आना है और एक दाम बता कितने देने है मुश्ताक : ऐसा करना तू 13000 दे देना एक्सपर्ट : फिर हमारी क्या शर्म रही…तूने क्या किया मुश्ताक : 15000 की बात थी, फिर तुझे कहा कि 14500 दे देना, लेकिन अब मैं खुद ही 13000 रुपए बता रहा हूं, इतने दे देना और पांच मिनट में बता रहा हूं
डीग के गांवड़ी में पकड़ा बिलाल
डीग पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा की टीम ने जुरहरा थाना क्षेत्र में गांवडी निवासी बिलाल मेव के घर पर 12 नवम्बर की तडक़े दबिश दी। फर्जी सिम सप्लाई करने वाला सरगना बिलाल घर पर ही पकड़ा गया। सर्च में उसके पास 60 फर्जी सिम मिली। पुलिस पूछताछ में उसने बताया कि राजस्थान के अलावा हरियाणा व उत्तर प्रदेश में साइबर ठगों के हाथों में फर्जी सिम पहुंचाने के लिए उसके नीचे एक महिला सहित पांच लोग काम करते हैं। वह इन लोगों को फर्जी सिम देता है और ये लोग आगे मोटी रकम में सिम को ठगों को दे देते हैं।
उसकी निशानदेही पर कंचननेर निवासी मौसम उर्फ मोसिम व उसके पिता रूजदार को पकड़ा। पिता-पुत्र से 46 फर्जी सिम बरामद की। पिता-पुत्र ने तीन माह में बिलाल से 800 सिम ली थी, जिन्हें साइबर ठगों को मोटे दाम में बेच दिया। आरोपी बिलाल ने बताया कि पिता-पुत्र के अलावा गांवडी निवासी इरफान, हरियाणा निवासी साबिर, जुरहरा निवासी रिहान व खेड़ा निवासी पारो साइबर ठगों को सिम बेचने के लिए उससे लेते हैं। पुलिस बिलाल के भाई सहित इन सभी नामजद आरोपियों की तलाश में संदिग्ध ठिकानों पर दबिश दे रही है। आरोपी इरफान 1500 सिम व अन्य गुर्गें भी बड़ी मात्रा में सिम ले चुके।
असम के दुर्गम स्थान पर रहता है जरहू
आरोपी बिलाल ने बताया कि असम निवासी जरहू व राकिब खान वहां के लोगों के नाम से अलग-अलग कंपनी की फर्जी सिम जारी करवाते हैं। इसके बाद मेवात क्षेत्र में आकर या फिर ट्रक चालकों के साथ यहां फर्जी सिम भिजवाते हैं। भरतपुर रेंंज आइजी राहुल प्रकाश के प्रयासों से असम पुलिस जरहू व राकिब की तलाश में जुटी है। दुर्गम क्षेत्र में रहने और मोबाइल बंद कर भाग जाने के कारण आरोपी पकड़ में नहीं आ सका। असम निवासी आरोपियों के तार बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल, मणिपुर सहित कई जगहों के बदमाशों से जुड़े होने की आशंका जताई जा रही है। तीन माह पहले आरोपियों ने असम से अलग-अलग कंपनियों की 5000 सिम मेवात क्षेत्र में भेजी।
50 रुपए की सिम 2000 से 3000 में बेचते
पकड़े गए सिम सप्लायर से पता चला कि असम में 50 रुपए में लोगों के नाम से फर्जी सिम जारी करवाई जाती है। इसके बाद मेवात क्षेत्र के सिम सप्लाई सरगना तक प्रति सिम 300 से 350 रुपए में पहुंचाते। मेवात क्षेत्र के सरगना उक्त सिम को 1100 से 1500 रुपए में अपने गुर्गों को बेचते और गुर्गे 2000 से 3000 रुपए में प्रति सिम साइबर ठगों को बेचते। साइबर ठग एक सिम से एक बार में लाखों-करोड़ों रुपए की ठगी करने के बाद उसे तोड़ देता है, जिससे पुलिस की पकड़ में नहीं आ सके।
पत्रिका टीम 20 दिन तक लगातार मेवात क्षेत्र में संपर्क सूत्रों से जुड़ी रही तो चौंकाने वाली बात सामने आई कि फर्जी सिम के तार आसाम और कोलकाता तक जुड़े हैं। मुखबिरों से सूचनाओं के बाद पुलिस के साथ पूरा अभियान चलाया। पत्रिका टीम ने चार दिन मेावात क्षेत्र में एक बार फिर डेरा डाला। इस दौरान पकड़े गए दलालों और गैंग के सदस्यों से सीधे सवाल किए।