World Wildlife Day 2025: राजस्थान बना वाइल्डलाइफ प्रेमियों का पसंदीदा ठिकाना, बाघ-बघेरों के दीदार करने पहुंच रहे सैलानी
World Wildlife Day 2025: ऐतिहासिक किले-हवेलियों और रेगिस्तान की खूबसूरती के लिए मशहूर राजस्थान अब वाइल्डलाइफ प्रेमियों के लिए भी बेस्ट ट्रेवल डेस्टिनेशन बनता जा रहा है।
देवेन्द्र सिंह राठौड़ जयपुर। ऐतिहासिक किले-हवेलियों और रेगिस्तान की खूबसूरती के लिए मशहूर राजस्थान अब वाइल्डलाइफ प्रेमियों के लिए भी बेस्ट ट्रेवल डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। यहां दुर्लभ पक्षियों से लेकर बाघ-बघेरों के साथ वन्यजीवों की कई प्रजातियां आसानी से देखने को मिल रही है।
यही कारण है कि प्रदेश के जंगलों में देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। दरअसल, ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने की वजह से रणथंभौर, सरिस्का, झालाना, नाहरगढ़ जैविक उद्यान, सांभर झील, केवलादेव अभयारण्य और ताल छापर जैसे स्थान नए पर्यटन हब के रूप में उभर रहे हैं।
खासतौर पर बाघ और बघेरे देखने की दीवानगी ज्यादा है। इससे रोजगार के नए अवसर मिल रहे है। गाइड, होटल और रिसॉर्ट्स के अलावा स्थानीय हस्तशिल्प और पारंपरिक व्यंजनों की मांग भी बढ़ रही है। वन विभाग के आंकड़ों की माने तो 30 लाख से ज्यादा लोग वन्यजीवों का दीदार करने और जंगल घूमने आते हैं।
राजस्थान के जंगलों में वाइल्डलाइफ सफारी का क्रेज तेजी से बढ़ा है। खासकर रणथंभौर, सरिस्का और झालाना में होने वाली सफारी में सीजन (अक्टूबर-जनवरी) के दौरान इतनी भीड़ होती है कि बड़ी संख्या में पर्यटकों को निराश होकर लौटना पड़ता है। ऑनलाइन व ऑफलाइन बुकिंग फुल हो जाती है।
दीवानगी ऐसी, फुल रहती है सफारी
राजस्थान की झीलें और अभयारण्य प्रवासी पक्षियों के लिए स्वर्ग बन चुके हैं। हर साल सांभर झील, मानसागर, आना सागर, पिछोला झील, केवलादेव, ताल छापर, खींचन और जोड़ बीड़ में हजारों माइग्रेटरी बर्ड्स आते हैं। ये पक्षी सितंबर-नवंबर में पहुंचते हैं और फरवरी के अंत तक अपने वतन लौट जाते हैं। इनका दीदार करने देश-विदेश से पक्षी प्रेमी और फोटोग्राफर आते हैं। खासबात है कि खरमोर और गोडावन संरक्षण के प्रयासों ने भी राजस्थान को वाइल्डलाइफ मैप पर मजबूत पहचान दी है।