नए जिलों की धरातल पर यह स्थिति
1. ब्यावरमुख्यालय को जमीन नहीं, फिलहाल कलक्ट्रेट उपखंड मुख्यालय में।
पुलिस अधीक्षक कार्यालय शहर से 10 किमी दूर किराए के भवन में।
सीएमएचओ अस्पताल के खाली भवन में, ग्राम पंचायत गणेशपुरा का भवन जिला परिषद को दिया।
जिला मुख्यालय को 400 बीघा भूमि आवंटित, मिनी सचिवालय के लिए 1.25 करोड़ रुपए मंजूर।
कलक्टर, पुलिस अधीक्षक कार्यालय को छोड़ अधिकांश जगह ब्लॉक अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत।
जिला आईडी नहीं बनने से आंकड़े व अन्य जानकारी पुराने जिलों से ही मिल रहे।
नगर परिषद बोर्ड की बैठक नहीं होने से जमीन आवंटन अटका।
कलक्ट्रेट मंडी समिति परिसर में, एसपी कार्यालय किराए के भवन में।
शिक्षा विभाग, ट्रेजरी सहित अधिकांश कार्यालयों में स्टाफ व संसाधनों की कमी। 4. कोटपूतली-बहरोड़
मुख्यालय के लिए कालूखेड़ा पनियाला में 200 बीघा जमीन, निर्माण शुरू नहीं।
केवल जिला परिवहन कार्यालय का निर्माण जारी।
ज्यादातर विभागों के पोर्टल अपडेट न होने से कार्य पुराने जिलों से ही।
जिला मुख्यालय के लिए भूमि आवंटन नहीं।
कलक्ट्रेट स्कूल भवन में संचालित।
जिला परिषद और रोजगार कार्यालय नहीं, प्रशासनिक स्वीकृति के लिए बाड़मेर के चक्कर। 6. डीग
जिला मुख्यालय को भूमि आवंटन का इंतजार।
शिक्षा विभाग सहित कई कार्यालयों में अधिकारी नहीं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जिला अस्पताल व उप कारागृह जिला कारागृह में क्रमोन्नत होंगे।
18 विभागों के कार्यालय स्वीकृत, मिनी सचिवालय को मंजूरी नहीं।
जिला परिषद का गठन परिसीमन के बाद।
सांसद-विधायक कोष की स्वीकृति सहित पंचायती राज कार्यों के लिए नागौर पर निर्भरता। 8. सलूम्बर
मुख्यालय के लिए भूमि आवंटन प्रस्ताव राज्य सरकार के पास अटका।
कलक्ट्रेट फिलहाल हाडा रानी महाविद्यालय के छात्रावास में संचालित।
अन्य जिला कार्यालय भी स्थाई भवन नहीं होने से व्यवस्थित नहीं।